IIT Success Story: भारत में जेईई मुश्किल एग्जाम माना जाता है। जेईई क्रैक करने के लिए बच्चे बढ़िया से बढ़िया कोचिंग सेंटर, एक्सपर्ट टीचर, स्टैंडर्ड बुक्स और पढ़ाई के लिए अच्छी जगह तलाशते हैं। यह सब सुविधाएं पाने के बाद भी जेईई में सफलता की गारंटी नहीं होती है। बंगाल के अभिजीत रॉय ऐसी सभी चीजों से दूर थे। घर की खराब माली हालत और अलग-अलग तरह की पारिवारिक समस्याओं के बीच जेईई परीक्षा पास की। 191वीं रैंक हासिल कर आईआईटी खड़गपुर में एडमिशन लिया। आइए जानते हैं उनकी इंस्पिरेशनल स्टोरी।

ई-रिक्शा चलाकर परिवार का गुजारा करते हैं दादा

पूर्व सांसद दिलीप घोष मालदा, पश्चिमी बंगाल के युवक अभिजीत रॉय की इंस्पिरेशन स्टोरी सबके सामने लेकर आए। उन्होंने अभिजीत की स्ट्रगल से भरी कहानी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर शेयर की है। गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले अभिजीत के पिता लापता हैं। मां मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं। घर चलाने की जिम्मेदारी उनके बूढ़े दादा के कंधों पर हैं। ई-रिक्शा चलाकर वह परिवार का गुजारा करते हैं। पूरा परिवार एक छोटे से तंग घर में रहता है। जहां डेली रूटीन की लाइफ गुजारने के लिए भी काफी कम जगह है। 

न महंगा कोचिंग सेंटर और न ही बड़े संसाधन

ऐसे हालात में भी अभिजीत का हौसला टूटा नहीं। अपने मजबूत इरादों के दम पर वह मुश्किलों से जूझते हुए आगे बढ़ते रहें। पढ़ाई के प्रति उनके समर्पण ने मुश्किलों को भी हरा दिया। महंगे कोचिंग सेंटर या पढ़ाई के स्टैंडर्ड सामान तक उनकी पहुंच नहीं थी। उसके बावजूद उपलब्ध संसाधनों का यूज कर जेईई एग्जाम में सफलता के झंडे गाड़ दिए।

चुनौतियों से भरा होता था हर दिन

रिपोर्ट्स के अनुसार, अभिजीत के लिए हर दिन चुनौतियों से भरा हुआ होता। उन्हीं परिस्थितियों में कम संसाधनों से पढ़ाई की। हार्ड वर्क करते रहें। उनको अपने सपने पर भरोसा था और वह साकार भी हुआ। जब संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) में उन्होंने 191वीं रैंक हासिल की और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर पहुंच गए।

सोशल मीडिया पर अभिजीत की हो रही प्रशंसा

अभिजीत की सफलता की खबर सुनकर लोग वाह-वाह कह उठे। सोशल मीडिया पर भी उनको बड़े पैमाने पर प्रशंसा और सराहना मिली। पूर्व सांसद दिलीप घोष की भी लोग तारीफ कर रहे हैं, क्योंकि उन्होंने अभिजीत की प्रतिभा का सम्मान किया। मालदा के एक तंग घर से आईआईटी तक का सफर तय करने वाले अभिजीत रॉय की कहानी प्रेरणादायक है। यह बताती है कि यदि निश्चय दृढ़ हो तो बड़ी से बड़ी बाधाओं के बाद भी सफलता पाई जा सकती है। 

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