केरला. आप जिस सामान को ख़राब समझ कर फ़ेंक देते हैं अपर्णा उनको डेकोरेशन का आइटम बना देती हैं। अपर्णा  वेस्ट मटेरियल को रिसाइकिल कर के उन्हें होम डेकर बना लेती हैं, बल्कि इस काम के लिए उन्होंने अपने घर में एक स्टूडियो भी खोल रखा है। माय नेशन हिंदी से बात करते हुए अपर्णा ने बताया की कैसे वेस्ट मटेरियल को रिसाइकिल कर के उन्होंने स्टार्ट अप  शुरू कर दिया। 

रास्ते भर कांच की बोतल इकठ्ठा करती अपर्णा 

अपर्णा केरला के मन्नोतुरत्तु में रहती है जो की पर्यटन स्थल है, पर्यटन स्थल होने के कारण यहाँ रोज़ गंदगी फैली रहती थी। अपर्णा ने बीएड किया है। ये सिलसिला साल 2017 से शुरू हुआ जब अपर्णा  कोल्ल्म पढ़ने के लिए जाती थीं. लौटते समय उन्हें रस्ते में तमाम कांच की बोतले और कूड़ा दिखाई देता था,अपर्णा सब इकठा कर के अपने घर ले आती थीं, ये हर रोज़ का दस्तूर बन चुका था। अपर्णा का ये काम देख कर लोगों ने चिढ़ाने के लिए उनका नाम  कुप्पी रख दिया।  

पर्यायवरण साफ़ रखने की अनोखी पहल 

कांच की बोतलों को सजा कर अपर्णा सड़क किनारे रख दिया करती थीं और फिर उनकी तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट करती थीं, लोगों को अपर्णा का ये काम पसंद आने लगा। बोतलों को सजा कर उसी जगह  पर रखने के पीछे अपर्णा का एक ही मकसद था, लोग पर्यायवरण के प्रति जागरूक हो और अपने इर्द गिर्द के इलाके को साफ सुथरा रखें। 

इलाके के झील साफ़ करने की मुहीम 

 मन्नोतुरत्तु  में एक झील है अष्टमुडी जो काफी गन्दी हो गयी थी। अपर्णा ने सोशल मीडिया के ज़रिये और अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर इस झील को साफ किया, चूँकि इस झील को साफ़ करने की अपील अपर्णा ने सोशल मिडिया के ज़रिये किया था तो लोगों की काफी भीड़ उनकी पोस्ट देख कर झील के पास इकठ्ठा हो गयी।  17 मार्च 2019 को झील की सफाई शुरू हुई थी और 21 मार्च को खत्म हो गयी थी, जिसमे अपर्णा ने प्रशासन की कोई मदद नहीं ली थी।  झील से निकली तमाम बोतलों को अपर्णा ने दोबारा सजा कर झील के किनारे रख दिया। उनकी इस मुहीम की बहुत सराहना हुई।  

माँ से सीखा वेस्ट को बेस्ट बनाना 

अपर्णा कहती हैं उनकी माँ पेशे से एक नर्स हैं, इसके बावजूद वो खाली वक़्त में होम  डेकोरेशन करती हैं जिसका उन्हें शौक है। होम डेकोरेशन का सामान वो खरीद कर नहीं लातीं  बल्कि वेस्ट मटेरियल रिसाइकिल कर के होम डेकर  में तब्दील आकर देती हैं।अपर्णा को भी शुरू से क्राफ्ट और पेंटिंग का शौक था। वो कहती हैं शायद मम्मा की आदत मेरे अंदर समा गयी है, और मुझे कहीं भी कोई कबाड़ दिखता है तो मैं उसे अपसाइकिल कर के होम डेकर  बना देती हूँ।  

 

जिस नाम से लोगों ने चिढ़ाया उसे ही बनाया ब्रांड 

अपर्णा ने अपने स्टूडियो का कुप्पी रखा है। बोतल इकठ्ठा करने पर लोग उन्हें कुप्पी नाम से चिढ़ाते थे जिसका मतलब मलयालम में बोतल होता है।  कुप्पी को उन्होंने टूरिस्ट डिपार्टमेंट में रजिस्टर कराया है ताकि पर्यटकों को वर्क शॉप दे सकें। अपने घर के एक कमरे को उन्होंने स्टूडियो बना लिया है जहाँ वो पर्यटकों को वर्कशॉप देती हैं। इस स्टूडियो में प्रवेश करते ही आपको चारों तरह सिर्फ कांच की बोतलें दिखेंगी, कुछ पर आर्ट वर्क दिखेगा तो कुछ रिसाइकिल मोड में जाने को तैयार दिखेंगी।

 मुहिम बन गयी स्टार्टअप 

कांच की बोतलों को रिसाइकिल करने का काम अपर्णा ने शौकिया किया था लेकिन कुछ समय बाद ये काम उनका स्टार्ट अप बन गया। कांच की बोतलों से होम डेकर बना कर अपर्णा सोशल मीडिया पर पोस्ट करती थीं, धीरे धीरे उन्हें ऑनलाइन आर्डर आने लगे, आज अपर्णा अपने इस स्टार्टअप से महीने में पचास से साठ हज़ार रुपये महीना कमा रही हैं।  

 

ये भी पढ़ें 

पीरियड में कपड़े अलग धोना, मंदिर में एंट्री बैन, अचार खाने पर पाबंदी-मिथ तोड़कर आदिति गुप्ता बन गई पी...