मध्य प्रदेश. महिला सुरक्षा और महिला सशक्तिकरण को लेकर 25 साल की आशा मालवीय देश के 28 राज्यों में साइकिल से यात्रा कर रही हैं, 1 नवंबर 2022 को उनकी यात्रा शुरू हुई थी और 15 अगस्त 2023 को वह अपनी यात्रा का समापन करेंगी।


आशा की मां खेतों और घरों में मजदूरी करती  हैं
मध्यप्रदेश के राजगढ़ के खिलचीपुर तहसील के छोटे से गांव नाटाराम की रहने वाली आशा मालवीय दो बहन हैं, जब आशा 3 साल की थी तब उनके पिता की मृत्यु हो गई थी, उनकी मां राजुबाई ने खेतों और घरों में मज़दूरी कर के अपनी बेटियों को पाला है, आशा ने फिजिकल एजुकेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है, उनकी छोटी बहन की शादी हो चुकी है, आशा ने नौकरी करके छोटी बहन की शादी में माँ को आर्थिक सहयोग दिया।  

अक्सर भूखे पेट भी सोए हैं

मायनेशन से बात करते हुए आशा ने बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति हमेशा से कमजोर थी, कई बार ऐसा भी हुआ कि मां के पास कोई काम नहीं था, तो हम लोग भूखे पेट भी रहे, लेकिन मेहनत मजदूरी करके मां ने हमें पढ़ाया जब मैं सिक्स क्लास में थी तो मेरा स्कूल गांव से 6 किलोमीटर दूर था और मैं वहां पैदल जाती थी।

पढ़ाई के साथ-साथ नौकरी किया

12वीं क्लास में आशा ने मां का आर्थिक सहयोग करने की सोचा और पढ़ाई के साथ साथ गाड़ियों के शोरूम में नौकरी करना शुरू कर दिया, उन्होंने बीपीड किया, पढ़ाई के दौरान एथलेटिक्स में 3 नेशनल गेम भी खेला।

बर्फीली पहाड़ियों पर लहराया तिरंगा
आशा इसके पहले भी राजगढ़ का नाम रोशन कर चुकी है उन्होंने सिक्किम में  "तेनजिंग खांग पीक" की बर्फीली पहाड़ियों पर 19,500 फीट की चढ़ाई पर  तिरंगा लहराकर OMG बुक में अपना नाम दर्ज कराया है। 

 एक लाख पौधे लगाने का प्रण
आशा अपनी साइकिल यात्रा के साथ हर राज्य में पौधा रोपण कर रही हैं, इस यात्रा में उन्होंने एक लाख पौधे लगाने का प्रण लिया है, इस मुहिम के जरिए व पर्यावरण बचाने का संदेश दे रही हैं।

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