गाजीपुर। यूपी के गाजीपुर के किसान शेख अब्दुल्ला पहले कोलकाता में डेयरी चलाते थे। परिस्थितियां बदली तो उन्हें गांव लौटना पड़ा। गांव में पहले से पम्परागत खेती हो रही थी। उन्होंने भी वही रास्ता अपनाया।  MY NATION HINDI से बात करते हुए वह कहते हैं कि कन्वेंशल तरीके से पैदा होने वाली फसल की मार्केट में पर्याप्त डिमांड नहीं थी। यह देखते हुए मॉडर्न खेती शुरु की। फसल की पैदावार बढ़ी और मार्केट में अच्छा रिस्पासं भी मिला। आज इलाके में 2 हजार हेक्टेयर में खेती होती है। स्थानीय स्तर पर मंडी भी है। अब विदेशों तक सब्जियां जाती हैं।

मॉर्डन खेती का अच्छा रिस्पांस

दअसल, कोलकाता शहर में डेयरी फॉर्म संचालित करने वाले शेख अब्दुल्ला को उस समय मुश्किलों का सामना करना पड़ा। जब नये नियम बनें। उसके अनुसार, डेयरी फॉर्म को शहर के बाहर विस्थापित करना पड़ा। बिजनेस पर उसका असर पड़ा। कारोबार जम नहीं पाया तो वह गांव लौटें। कन्वेंशनल खेती करने वाले ग्रामीणों की तरह उन्होंने भी खेती शुरु की। पहले एक बीघा जमीन पर टमाटर उगाएं। 2—3 साल बाद उन्हें एहसास हुआ कि देसी टमाटर की बाजार में डिमांड कम है। लोग हाइब्रिड टमाटर पसंद कर रहे हैं तो उन्होंने उन्नत खेती शुरु की। हाइब्रिड टमाटर लगाएं। अच्छा रिस्पांस मिला। डिमांड बढ़ी तो कानपुर, गोंडा, बहराइच समेत आसपास की मंडियों में टमाटर भेजना शुरु कर दिया।

टमाटर की खेती के लिए फेमस हो गया इलाका

साल 1990 में शेख अब्दुल्ला ने शहरों में रहने वाले लोगों की जमीनें पेशगी पर लेकर खेती करनी शुरु कर दी। साथ ही किसानों को उन्नत तरीके से खेती करने के लिए जागरूक करने का भी अभियान चलाया। नतीजतन, इलाके में बड़े पैमाने पर मॉडर्न खेती शुरू हो गई। किसानों ने टमाटर की खेती पर ज्यादा ध्यान दिया। एक समय ऐसा आया कि भंवरकोल ब्लॉक के महेशनगर गांव के आसपास का पूरा इलाका टमाटर की खेती के लिए फेमस हो गया। वाराणसी के भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने भी किसानों की सहायता की। 

बिना सरकारी सुविधा के चलती है पाताल गंगा मंडी

पहले किसान अपनी उपज गाजीपुर मंडी में बेचने ले जाते थे। पर समय के साथ इलाके में सब्जियों का उत्पादन बढ़ा तो मंडी छोटी पड़ने लगी। फिर शेख अब्दुल्ला ने स्थानीय किसानों के साथ मिलकर गांव के पास स्थित पाताल गंगा पर मंडी लगानी शुरु कर दी। व्यापारी मंडी तक आने लगे। डेली करीबन 100 ट्रक टमाटर मंडी से ही बिकने शुरु हो गए। यह मंडी इतनी मशहूर हुई की देश की तमाम मंडियों के साथ नेपाल तक टमाटर की सप्लाई शुरु हो गई। खास यह है कि यह मंडी बिना किसी सरकारी सुविधा के चलती है। 

भूटान, नेपाल, बांग्लादेश, गल्फ कंट्री तक जाती है मिर्च
 
इलाके में 10 साल तक किसानों ने टमाटर की जमकर खेती की। अब वह समय भी आया। जब टमाटर के दाम गिरने लगे। किसानों का नुकसान होने लगा। ऐसे समय में किसानों का ध्यान कृषि विविधीकरण (Crop Diversification) की तरफ गया। कृषि अनुसंधान केंद्रों ने भी मदद की और फिर इलाके में हाइब्रिड मिर्च की खेती शुरु हुई। अब मिर्च की खेती ने टमाटर को पीछे छोड़ दिया है। इलाके में 95 प्रतिशत किसान मिर्च उगाने लगे हैं। डेली मिर्च की 150-200 गाड़ियां मंडी से निकलती है, जो भूटान, गल्फ कंट्री, नेपाल और बांग्लोदश भी जाती है। मटर की खेती भी सीजन में बड़े पैमाने पर होती है। महेशपुर गांव के 27 साल तक प्रधान रहे शेख अब्दुल्ला को तत्कालीन गवर्नर टीवी राजेश्वर ने सम्मानित भी किया था। उन्हें कई सम्मान मिले हैं। 30 साल पहले मॉडर्न खेती की जो शुरुआत उन्होंने की थी। उसी की वजह से आज पूरा इलाका फेमस है।

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