सागर (मध्य प्रदेश): सागर के अंकित जैन को पिता देवेंद्र कुमार जैन (गल्ला व्यापारी) की मौत के बाद काफी स्ट्रगल करना पड़ा। पढ़ाई करने और परिवार चलाने के लिए कोचिंग पढ़ाई। प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होते रहें। आबकारी उप​ निरीक्षक के पद पर चयनित हुए। अब, दीवाली 2024 के अवसर पर उन्होंने अपनी मां को सबसे कीमती तोहफा दिया है। दरअसल, दीवाली के अवसर पर ही उनकी पासिंग आउट परेड हुई। परिवार उसका साक्षी बना। अंकित ने मां को अपनी कैप पहनाकर उनका सपना पूरा कर दिया। फेस्टिवल के मौके पर परिवार की खुशियां दोगुनी हो गईं।

बेटे ने पहनाई कैप, मां के आंखों से छलक उठे आंसू

अंकित की पासिंग आउट परेड के दौरान उनका पूरा परिवार वहां मौजूद था। वह क्षण यादगार बन गया, जब अंकित ने गर्व से मां को अपनी कैप पहनाई और उनके चरण स्पर्श किए। मां की आंखों में खुशी के आंसू छलक उठे। मां ने बेटे को सीने से लगा लिया और आगे बढ़ने का आशीर्वाद दिया। यह दिवाली उनके लिए यादगार बन गई।

2019 में दी एमपीपीएससी की परीक्षा

अंकित जैन का यह सफर आसान नहीं था। 2019 में उन्होंने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) की परीक्षा दी थी, लेकिन ओबीसी आरक्षण विवाद के कारण परिणाम स्थगित हो गया। इसी बीच, उनके पिता का कोरोना की दूसरी लहर में दुखद निधन हो गया। पिता के निधन के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति पर बुरा असर पड़ा। अंकित पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी आ गई। इस संकट के समय में उन्होंने हार मानने के बजाय परिस्थितियों से जूझने का निर्णय लिया। परिवार को सहारा देने के लिए कोचिंग में पढ़ाना शुरू किया।

2024 में रंग लाई मेहनत

अंकित ने इंदौर में तीन साल तक कोचिंग पढ़ाई। इससे उन्हें फाइनेंशियल सपोर्ट मिला और वह अपनी पढ़ाई भी जारी रख सकें। उधर, लगातार एमपीपीएससी की तैयारी में भी जुटे रहे। डेली 6 घंटे की पढ़ाई करते थे। पांच साल के लंबे इंतजार के बाद 2024 में उनकी मेहनत रंग लाई, जब उन्हें आबकारी उप निरीक्षक का जॉइनिंग लेटर मिला। 

जबलपुर में पहली पोस्टिंग

अंकित ने सागर के जवाहरलाल नेहरू पुलिस अकादमी में अपनी ट्रेनिंग पूरी की। यहां 58 आबकारी उप निरीक्षक और तीन जिला आबकारी अधिकारियों की ट्रेनिंग पूरी हुई, जिसके बाद पासिंग आउट परेड का आयोजन किया गया। ट्रेनिंग समाप्त होने के बाद अंकित की पहली पोस्टिंग जबलपुर में हुई है। 

एमपीपीएससी: सिर्फ ज्ञान नहीं, धैर्य और मनोबल की भी परीक्षा

अंकित के लिए यह पांच साल का इंतजार आसान नहीं था। उन्होंने धैर्य बनाए रखा। वे कहते हैं कि एमपीपीएससी की तैयारी करना न केवल ज्ञान की परीक्षा थी बल्कि धैर्य और मनोबल की भी परीक्षा थी। उनके अनुसार, प्रशिक्षण के दौरान जो उन्होंने सीखा है, उसे जमीन पर उतारने की पूरी कोशिश करेंगे। एक अधिकारी का काम जनता की भलाई के लिए होता है और वे इसे प्रॉयरिटी के साथ निभाएंगे।

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