नयी दिल्ली। गुजरात के भावनगर जिले के एक छोटे से गांव से निकले वल्लभभाई पटेल सिर्फ चौथी कक्षा पास है। फिर भी बिजनेस में बड़ी-बड़ी डिग्री वालों को पीछे छोड़ दिया। कभी खेती में परिवार की मदद करते थे। फिर छोटा सा बिजनेस शुरू किया, उसमें सफल नहीं हुए तो हार नहीं मानी। आगे बढ़ते रहें। अब डायमंड कटिंग और पॉलिशिंग के महारथी हैं। उनकी कम्पनी 'किरण जेम्स' ऐसा काम करने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में गिनी जाती है। भारत के सबसे बड़े हीरा निर्माता हैं। आइए जानते हैं उनकी सफलता की कहानी।

7 साल तक डायमंड वर्कशॉप में काम

वल्लभभाई पटेल ने साल 1971 में कॅरियर की शुरूआत हीरा तराशने के काम से की। बिना किसी बड़ी एजूकेशनल डिग्री के बिजनेस की बारीकियों को सीखा। बैकग्राउंड खेती-किसानी का था। इसलिए मानसून के मौसम में गांव जाते थे और परिवार के साथ खेती का काम करते थे। डायमंड वर्कशॉप में 7 साल काम किया और फिर खुद का बिजनेस शुरू करने का फैसला लिया। साल 1978 में एक छोटा सा बिजनेस शुरू किया, सफल नहीं हो सके। 

1985 में किरण जेम्स की शुरूआत

रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह कहते हैं कि पहले बिजनेस में नुकसान हुआ और कर्जदार भी हो गया। पर पिता ने सपोर्ट किया तो मुझे मजबूती मिली और अपने कर्ज चुकाएं। फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। साल 1985 में किरण जेम्स की नींव रखी। उनके कॉमर्स ग्रेजुएट भाई मावजीभाई पटेल ने भी उनका साथ दिया। छोटी सी शुरूआत धीरे-धीरे एक बड़े वेंचर में तब्दील हो गई। मौजूदा समय में भारतीय हीरा इंडस्ट्री के सबसे बड़े प्लेयर में शुमार हैं। उनकी कम्पनी दुनिया की सबसे बड़ी हीरा तराशने वाली कम्पनियों में से एक है। 

50,000 वर्कर, स्कूल और हॉस्पिटल भी

किरण जेम्स में लगभग 50,000 कर्मचारी काम करते हैं। वर्कर्स की फैमिली के लिए 1200 अपार्टमेंट का एक नया टाउनशिप भी बसाया है। बिजनेस के साथ हेल्थ और एजूकेशन में भी लोगों की मदद करते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, उनका मानना है कि एजूकेशन ही एक अच्छे ​इंसान के निर्माण का आधार है। शिक्षा के बाद व्यक्ति के पास ज्यादा अवसर होते हैं और क्राइम करने की कम वजहें। इसलिए, भावनगर में 11,000 स्टूडेंट्स की कैपेसिटी वाला स्कूल बनवाया। सूरत में एक हॉस्पिटल का भी संचालन होता है। उनकी कम्पनी देश में सबसे ज्यादा टैक्स देने वाली फर्म में से एक है। 

ये भी पढें-शादी के 4 साल बाद पति दिव्यांग, रोजी-रोटी का संकट...भूखे पेट सोए, इन छोटे-छोटे कामों से संभाला परिवा...