UPSC Success Story: रत्ना विश्वनाथन ने मजाक-मजाक में UPSC परीक्षा पास की। 21 साल की सरकारी सेवा के बाद, नौकरी छोड़कर शिक्षा के क्षेत्र में कदम रखा। अब 'रीच टू टीच' की सीईओ हैं।
UPSC Success Story: यूपीएससी की परीक्षा को भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है। इसके माध्यम से आईएएस, आईपीएस और अन्य उच्च पदों पर नियुक्ति मिलती है। हर साल लाखों उम्मीदवार इस परीक्षा में बैठते हैं, लेकिन केवल कुछ ही इसे पास कर पाते हैं। आज हम आपको एक ऐसी शख्सियत की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने गलती से UPSC की परीक्षा पास की, फिर IPS का कैडर मिलने के बावजूद अपने परिवार की सलाह पर कुछ और चुना और अंत में जॉब छोड़कर बच्चों की शिक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। यह कहानी है रत्ना विश्वनाथन की, जो आज 'रीच टू टीच' संस्था के माध्यम से देशभर के सरकारी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने का काम कर रही हैं।
मजाक-मजाक में भर दिया यूपीएससी का फॉर्म
ओडिशा की रहने वाली रत्ना विश्वनाथन के पिता व्यापार के सिलसिले में लखनऊ आए, तब से उनका परिवार लखनऊ का ही हो गया। लिहाजा, उनकी पढ़ाई-लिखाई भी यहीं से हुई। रत्ना की UPSC जर्नी बिल्कुल असामान्य थी। वह कभी भी इस परीक्षा को लेकर गंभीर नहीं थीं। वह लखनऊ यूनिवर्सिटी से अंग्रेज़ी साहित्य में एमए कर रही थीं। उनके दोस्तों ने UPSC का फॉर्म भरा, तो उन्होंने भी मजाक-मजाक में फॉर्म भर दिया। उस समय कोचिंग संस्थानों और संसाधनों की कमी के बावजूद, उन्होंने अपने दोस्तों के साथ ग्रुप स्टडी के माध्यम से पढ़ाई की। जब उनका प्री एग्जाम क्लीयर हुआ, तब उन्हें एहसास हुआ कि वह इस परीक्षा को पास कर सकती हैं। इसके बाद उन्होंने मेंस और इंटरव्यू की तैयारी पूरी गंभीरता से की और आखिरकार 1987 में उन्हें सफलता मिल गई। IPS कैडर मिला।
IPS कैडर मिला पर चुना IAAS
जब रत्ना को आईपीएस कैडर मिला, तो उनके पिताजी ने उन्हें सलाह दी कि वह पुलिस सेवा में न जाएं। उनका मानना था कि रत्ना इस क्षेत्र में फिट नहीं बैठ पाएंगी। उन्होंने रत्ना को सलाह दी कि वह कुछ और सेवा चुनें। इस सलाह को मानते हुए रत्ना ने भारतीय लेखा परीक्षा एवं लेखा सेवा (IAAS) का चुनाव किया। यह सेवा भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) के अंतर्गत आती है। उन्होंने इस सेवा में 21 साल तक विभिन्न पदों पर कार्य किया, जिसमें ऑडिट, रक्षा मंत्रालय और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण विभाग शामिल थे।
2008 में वीआरएस
इतने वर्षों तक सरकारी सेवा में काम करने के बाद भी रत्ना को लगता था कि उन्हें समाज के लिए कुछ और करना चाहिए। 2008 में उन्होंने VRS (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) ले ली और सरकारी नौकरी को अलविदा कह दिया। इसके बाद उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ काम करना शुरू किया। उन्होंने ऑक्सफैम इंडिया के ऑपरेशंस डायरेक्टर के रूप में चार साल तक काम किया। इसके अलावा, कई अन्य NGOs के साथ भी सामाजिक बदलाव के लिए कार्य किया।
2020 में 'रीच टू टीच' संस्था की सीईओ
2020 में रत्ना विश्वनाथन ने 'रीच टू टीच' संस्था के सीईओ की जिम्मेदारी संभाली। इस संस्था का मकसद देश के विभिन्न राज्यों के सरकारी स्कूलों में क्वालिटी एजूकेशन देना है। उनका मानना है कि देश में सबसे अधिक बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं और वहां शिक्षा की क्वालिटी को सुधारने की अत्यधिक आवश्यकता है। अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, मेघालय और हरियाणा जैसे राज्यों में वह सरकारी स्कूलों के बच्चों को पढ़ाने और मजेदार तरीके से शिक्षा देने का काम कर रही हैं।
Last Updated Sep 24, 2024, 2:14 PM IST