लखनऊ। हर्षिता सिंह ने UPPCS J में पहले ही अटेम्प्ट में सिक्स्थ रैंक हासिल कर टॉप टेन में जगह बनाई। नौकरी के साथ-साथ हर्षिता ने UPPCS-J की तैयारी की । इस एग्जाम के लिए हर्षिता ने बाकायदा दिन के 24 घंटे को 8 घंटे में डिवाइड करके स्ट्रेटजी बनाई। इसी स्ट्रेटजी के तहत उन्होंने पढ़ाई की। हर्षिता ने ये कामयाबी बिना कोचिंग के सेल्फ स्टडी से हासिल किया है। माय नेशन हिंदी से हर्षिता ने अपनी UPPCS J की  जर्नी के साथ साथ पर्सनल लाइफ के एक्सपीरियंस भी शेयर किए।  

कौन है हर्षिता सिंह 

हर्षिता गोमतीनगर में रहती हैं , लखनऊ के लोरेटो कान्वेंट से ट्वेल्थ तक की पढाई की।  नैशनल लॉ यूनिवर्सिटी पंजाब से बीए, एलएलबी ऑनर्स की पढ़ाई की जहां वो टॉपर थी और उन्हें 8 गोल्ड मेडल और 68 मेरिट सर्टिफिकेट मिले।हर्षिता की मां नीलम एक सोशल वर्कर हैं। हर्षिता के पिता विनोद भाकुनी CSIR में सीनियर साइंटिस्ट थे और साल 2006 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के द्वारा शांति स्वरूप भटनागर अवार्ड से सम्मानित किये गये थे। हर्षिता के भाई अभ्युदय यूएस में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं।

 

27 लाख सालाना पैकेज की मिली नौकरी 

UPPCS-J की जर्नी के बारे में हर्षिता कहती हैं की ग्रेजुएशन के बाद दिल्ली की एक बड़ी लॉ फर्म में उनकी सालाना 27  पॅकेज की नौकरी लग गयी. वहां काम करते हुए उन्हें एहसास हुआ की ज्यूडिशरी कितना महत्वपूर्ण है।  अपने अधिकारों और न्याय से वंचित लोगों को न्याय दिलाने मे जुडीशियरी का एक अत्यधिक महत्वपूर्ण योगदान होता है। प्राइवेट फर्म में कॉर्पोरेट लॉयर होने के नाते हर्षिता उन मज़लूम लोगों की मदद नहीं कर पा रही थीं तथा समाज के लिए कोई महत्वपूर्ण योगदान नहीं दे पा रहीं थी जिस लक्ष्य को पूर्ण करने के लिए उन्होंने लॉ की पढ़ाई की थी और तब उन्होंने तय किया की वो ज्यूडिशरी का एग्जाम देंगी। उन्होंने इसी साल फरवरी में एमपी ज्यूडशरी का एग्जाम दिया और ट्वेंटी सेवंथ रैंक हासिल किया, लेकिन हर्षिता यूपी के लिए काम करना चाहती थीं इसलिए उन्होंने UPPCS-J का एग्जाम दिया और फर्स्ट एटेम्पट में क्रैक कर लिया।

इंटरव्यू में सवालों के बारे में हर्षिता से बोर्ड मेंबर ने सवाल किया 

Q- अगर मेरी ज़मीन पर कब्ज़ा हो जाता है और मैं आपके पास शिकायत ले आता हूं तो आप मजिस्ट्रेट होने के नाते क्या करेंगी ?

Ans - मैं इन्जंक्शन का रिलीफ़ दूंगी, जो की कोड ऑफ़ सिविल प्रोसीजर में होती है ,पक्ष में ये देखूंगी  की किन  हाथों से आया है, इन तथ्यों का ध्यान रखते हुए इन्जंक्शन का रिलीफ दूंगी।

हर्षिता कहती हैं इस जवाब को सुन कर इंटरव्यूअर ने बहुत अप्रिशिएट किया मुझे ,हालांकि अन्य सवालों के बारे में उन्होंने बताया की सभी सवाल लॉ से ही जुड़े हुए थे, एक सवाल के साथ कई सवाल जुड़े थे जिनका जवाब काफी लम्बा था इसलिए मैं नहीं मेंशन करुंगी।  

 

तमाम सवालों के दरमियान लिया UPPCS-J  करने का फैसला 

हर्षिता कहती हैं जब मैं UPPCS-J की तैयारी के बारे में सोच रही थी तो दिमाग में ये भी था कि  महीने में दो लाख से ज़्यादा तनख्वाह की नौकरी कर रही हूं,आगे का रिज़ल्ट पता नहीं था, ये नौकरी छूट गयी तो क्या होगा ? ऐसे तमाम सवालों ने हर्षिता घिरी हुई थी लेकिन उनके सामने सबसे बड़ा मुद्दा था वो तबका जिसको इंसाफ के लिए  दर दर भटकना पड़ता था , जो मज़लूम था जिसे कानून की जानकारी नहीं थी ,पुलिस जिनकी एफआईआर नहीं दर्ज करती थी। हर्षिता ने इसी तबके की सेवा के लिए ज्यूडिशरी का एग्जाम दिया और छठी रैंक हासिल किया। 

 

स्ट्रेटजी बना कर करें पढ़ाई 

हर्षिता ने बताया की मैंने स्ट्रेटजी बना कर पढाई की है। कोई कोचिंग नहीं लिया सेल्फ स्टडी किया है। वर्किंग प्रोफेशनल थी, सुप्रीम कोर्ट में काम कर रही थी। काम के साथ ही तैयारी की तो मुझे लगता है वो स्टूडेंट्स जो uppcsj  की तैयारी कर रहे हैं उनके लिए मेरी स्ट्रेटजी जानना  काफी फायदेमंद होगा। वो कहती हैं दिन में 8 से 10 घंटा हर हाल में पढ़ना चाहिए। एक घंटा आंसर राइटिंग करें क्यूंकि मेंस के मार्क्स बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। हर आंसर में कुछ करेंट टॉपिक से ज़रूर रिलेट कर के लिखिए। मैंने काम करते हुए पूरे फोकस के साथ से पढाई की है। हर्षिता अपनी मां को कामयाबी का क्रेडिट देती हैं।  वो कहती हैं मेरी मां ने मुझे बचपन से हर काम के लिए एनकरेज किया। 

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