बेंगलुरु: इसरो प्रमुख के. सिवन द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक चांद की सतह पर विक्रम लैंडर की लोकेशन का पता लगा लिया गया है। चंद्रमा की कक्षा में चक्कर काट रहे ऑर्बिटर ने उसकी थर्मल इमेज उतारी है। जिसमें वह चांद की सतह पर उल्टा पड़ा हुआ दिखाई दे रहा है। 

इसके पहले यह आशंका जताई जा रही थी कि विक्रम लैंडर चांद की सतह से तेजी से टकराकर चकनाचूर हो गया होगा। लेकिन खुशकिस्मती से यह आशंका गलत निकली। 

उल्टा पड़ा है विक्रम लैंडर
इसरो प्रमुख ने थर्मल इमेज के आधार पर यह जानकारी दी है। हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि फिलहाल विक्रम लैंडर से संपर्क नहीं किया जा सका है और उसे कितनी क्षति पहुंची है इसका भी आंकलन नहीं किया जा सका है। लेकिन इसरो के वैज्ञानिकों की टीम विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। 
विक्रम लैंडर की लोकेशन का थर्मल इमेजिंग से पता लगने के बाद सबसे ज्यादा जरुरी इस सवाल का जवाब तलाश करना है कि चंद्रमा की सतह से टकराने के बाद विक्रम लैंडर को कितना नुकसान पहुंचा है? उससे दोबारा संपर्क किया जा सकता है या नहीं? 
न्यूज एजेंसी आईएएनएस ने इसरो के सूत्रों के हवाले से जानकारी दी है कि 'ऐसा लगता है कि लैंडर चांद की सतह से तेजी से टकराया है और इस कारण वह पलट गया है। अब उसकी स्थिति ऊपर की ओर उल्टा पड़ा हुआ है।'

चकनाचूर नहीं हुआ है विक्रम लैंडर
हालांकि अभी विक्रम लैंडर से दोबारा संपर्क किए जाने की उम्मीदें बरकरार हैं। अगर उसके अंदरुनी यंत्रों को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ होगा तो विक्रम लैंडर से फिर से संपर्क किया जा सकेगा। उसके अंदर ही प्रज्ञान रोवर है। अगर विक्रम लैंडर चंद्रमा की कक्षा में चक्कर काट रहे ऑर्बिटर के सिग्नलों को रिसीव करने की स्थिति में होगा तो उसे सिग्नल भेजकर प्रज्ञान रोवर को एक्टिव किया जा सकेगा। 

वास्तविक स्थिति का पता लगने में लग सकते हैं 12 दिन
लेकिन यह कोई एक दो दिनों का काम नहीं है। इसमें पूरे 12 दिन लग सकते हैं। चंद्रमा की कक्षा में 100 किलोमीटर उपर चक्कर काट रहे ऑर्बिटर ने फिलहाल विक्रम लैंडर की थर्मल तस्वीरें भेजी हैं। अगले दो से तीन दिनों में जब वह विक्रम लैंडर की लैंडर की लोकेशन के बिल्कुल पास होगा तब वह उसकी हाई रिजोल्यूशन तस्वीरें भेजेगा। जिसके आधार पर आगे की कार्यवाही का फैसला किया जाएगा। 
ऑर्बिटर जब विक्रम लैंडर की लोकेशन के बिल्कुल पास पहुंचेगा तभी उससे भेजे हुए सिग्नल ज्यादा बेहतर तरीके से विक्रम लैंडर तक पहुंच पाएंगे।

तब तक इसरो के वैज्ञानिक लगातार अपने कंप्यूटर की स्क्रीनों पर आँखे गड़ाए बैठे रहेंगे और पूरा देश उनकी सफलता के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता रहेगा।