नई दिल्ली: अपनी भूटान यात्रा के दौरान पीएम नरेन्द्र मोदी भूटान की रॉयल यूनिवर्सिटी में छात्रों को संबोधित करेंगे। इसके अलावा भूटान के विकास के लिए 5000 करोड़ भी दिए जाएंगे।  भारत वहां 65 बड़े प्रोजेक्ट को पूरा करेगा। भूटान को ट्रेड सपोर्ट पैकेज के तहत 400 करोड़ की मदद की जाएगी। 

इसके अलावा भूटान के लिए पीएम मोदी का सबसे बड़ा तोहफा रुपे कार्ड की लांचिंग होगी। जिसे पीएम अपनी यात्रा के दौरान लांच करेंगे। रूपे कार्ड एक कार्ड भुगतान नेटवर्क के निर्माण में भारतीय बैंकिंग इंडस्ट्री की क्षमताओं का प्रतीक है ताकि अंतरराष्ट्रीय कार्ड योजनाओं पर निर्भरता को कम किया जा सके। 

इससे पहले भूटान के प्रधानमंत्री लोते शेरिंग ने अपनी भारत यात्रा के दौरान यह बताया था कि भूटान सरकार ने डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए रूपे कार्ड लॉन्‍च करने का फैसला किया है। इसके अलावा भारत भूटान की 12वीं पंच-वर्षीय योजना में भारत 4500 करोड़ रुपए की सहायता उपलब्‍ध कराएगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 से 18 अगस्त तक भूटान के दो दिवसीय दौरे पर रहेंगे। वह अपनी भूटान यात्रा के दौरान भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक और भूटान के चौथे नरेश जिग्मे सिग्ये वांगचुक से भेंट करेंगे। वे भूटान के प्रधानमंत्री डॉ. लोटे शेरिंग के साथ बैठक करेंगे। 

इसके अलावा पीएम मोदी भूटान में भारत की पनबिजली कंपनी एनएचपीसी के सहयोग से मध्य भूटान के ट्रोंगसा डोंग्खग जिले के मंगदेछु नदी में 720 हजार मेगावाट की क्षमता वाली बिजली परियोजना का उद्घाटन करेंगे। इस परियोजना की कुल लागत 1 बिलियन डॉलर है।

 विदेश मंत्रालय ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा दर्शाती है कि भारत सरकार अपने भरोसेमंद मित्र भूटान के साथ संबंधों को कितना महत्व देता है। मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि ‘भारत और भूटान समय की कसौटी पर खरे और विशेष संबंधों को साझा करते हैं और दोनों देश साझी सांस्कृतिक धरोहर और लोगों के बीच सम्पर्क के साथ आपसी समझ और सम्मान का भाव रखते हैं। 

अपने दूसरे कार्यकाल में मोदी काफी शीघ्र ही भूटान के दौरे पर जा रहे हैं जिसमें ‘नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी’ पर जोर जारी है। मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप में अपने पहले कार्यकाल के दौरान मोदी विदेशी यात्राओं की शुरुआत भूटान से ही की थी।

विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय आदान-प्रदान की परंपरा को ध्यान में रखते हुए है और इसके साथ ही इसमें द्विपक्षीय संबंध को और मजबूत बनाने और इसमें विविधता लाने की बात पर चर्चा की जाएगी जिसमें आर्थिक और विकास सहयोग,जल विद्युत सहयोग, क्षेत्रीय मामलों और अन्य आपसी मुद्दों पर भी जोर दिया जाएगा।