अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर घोटाले में आरोपी बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल को भारत में प्रत्यर्पित करने के मामले में दुबई की अदालत के विचार कर रही है। इस मामले में दुबई की एक कोर्ट में सुनवाई भी हुई है। सूत्रों के मुताबिक बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल के तर्क को कोर्ट ने मानने से इनकार कर दिया है। इसके बाद उसे भारतीय जांच एजेंसियों के हवाले किए जाने की संभावना काफी बढ़ गई है।

मिशेल क्रिश्चियन ने 3700 करोड़ रुपये के अगस्ता वेस्टलैंड खरीद मामले में कथित तौर बिचौलिए की भूमिका अदा की थी। इसी को लेकर जो दुबई की कोर्ट में सुनवाई हो रही है वो उसे भारत प्रत्यर्पित करने की कानूनी प्रक्रिया का ही हिस्सा है। वहीं दूसरी तरफ भारतीय जांच एजेंसियों ने यूएई में हुई सुनवाई के दस्तावेज को हासिल कर उसका अरबी से अंग्रेजी में अनुवाद करवाया है।

इससे पहले मिशेल ने सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रखते हुए कहा कि भारत में इस मुद्दे पर राजनीति होने की वजसे उन्हें निशाना बनाया जा रहा।  मिशेल के इस तर्क को कोर्ट ने पूरी तरह नकार दिया। मिशेल के वकील ने कोर्ट में कहा, यह एक राजनीतिक अपराध है जिसमें राजनीतिक दल शामिल है और बलि का बकरा मुझे बनाया जा रहा है। अपनी सफाई में मिशेल ने कहा कि इस सौदे के लिए कोई घूस नहीं ली गई है।

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान मिशेल की दलीलों को सुनने के बाद कहा, यह बचाव के लिए पर्याप्त तर्क नहीं है औस इसे खारिज किया जाता है। वहीं आरोपी मिशेल ने कोर्ट में कहा कि अगर उसे भारत भेजा जाता है तो उसके साथ बदसलूकी होगी। इस पर कोर्ट ने कहा हमारे पास प्रत्यर्पण ठुकराने की कोई वजह नहीं है और ऐसा कोई दूसरा अपराध नहीं हुआ है कि उसे अपील करने वाले देश के पास प्रत्यर्पित करने की जगह यहीं रखा जाए।

सूत्रों के मुताबिक आरोप है कि मिशेल को अगस्ता वेस्टलैंड ने करीब 350 करोड़ रुपये दिए थे जो सौदे के लिए बतौर भारतीय राजनेताओं, एयर फोर्स अधिकारियों और ब्यूरोक्रेट्स को देने थे।

गौरतलब है कि पूर्व वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी और उनके रिश्तेदार को इस मामले में आरोपी बनाया गया है और वो गिरफ्तार भी हो चुके हैं। इस मामले में मिशेल भी आरोप है और उसे यूएई की अदालत ने जमानत पर रिहा किया है। भारत ने इस मामले में यूएई की अदालत को कई दस्तावेज भी सौंप दिए हैं।