मूंबई। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देने के बाद अब राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द फडणवीस अलग थलग पड़ने लगे हैं। राज्य में अब ही उनके खिलाफ आवाज बुलंद होने लगी हैं और उन्हें राज्य में हुई किरकिरी के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। महाराष्ट्र भाजपा के पूर्व अध्यक्ष एकनाथ खड़से ने राज्य में सरकार बनाने के लिए अजीत पवार का समर्थन लेने के लिए भाजपा की निंदा की है।

हालांकि इसकी संभावना पहले से ही थी कि राज्य में अब फडणनीस के खिलाफ आवाज उठेंगी और आज ही एकनाथ खड़से ने इसकी शुरूआत कर दी है। खड़से को फडणवीस का विरोधी माना जाता है और वह भाजपा के राज्य ईकाई के अध्यक्ष भी रह चुके हैं और देवेन्द्र फडणवीस सरकार में राजस्व मंत्री थी। लेकिन उनके विभाग में हुए घोटाले के कारण उन्हें कैबिनेट मंत्री के पद से हटा दिया गया था। राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया था।

खड़से ने आज कहा कि अगर भाजपा राज्य में ठीक से चुनाव लड़ती तो वह 20 से 25 सीटें और जीत सकती थी। लेकिन राज्य नेतृत्व ने कई नेताओं को तवज्जो नहीं दी। जिसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा है। खड़से ने साफ कहा कि राज्य में देवेन्द्र फडणवीस के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जा रहा था, जिसके कारण कई नेताओं की अहमियत को दरकिनार कर दिया गया था और वह पार्टी से नाराज चल रहे थे। जिसका खामियाजा पार्टी को कम सीट से उठाना पड़ा है। क्योंकि ये नेता चुनाव प्रचार में ज्यादा सक्रिय नहीं हुए थे। पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि चंद्रशेखर बवानकुले, विनोद तावडे और उन्हें सत्ता पर काबिज नेताओं के दबाव में राज्य चुनाव अभियान से अलग रखा गया था। जिसकी कीमत पार्टी को चुकानी पड़ी है।

अगर राज्य में ये नेता सक्रिय रहते तो पार्टी ज्यादा सीट जीत सकती थी। उन्होंने कहा कि पार्टी ने चुनाव प्रचार के दौरान राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी नेता अजित पवार के खिलाफ भ्रष्टाचार की बात कही थी और फिर उनके साथ ही सरकार बना ली। क्या पार्टी ने उन सबूतों को खारिज कर दिया था। हालांकि अब इस बात की भी उम्मीद की जा रही है कि खड़से के बाद अब राज्य में फडणवीस के खिलाफ और ज्यादा आवाजें उठेंगी। क्योंकि पिछले पांच साल में उन्होंने राज्य सरकार के अपने सहयोगियों को तवज्जो नहीं दी थी। जिसके कारण कई सहयोगी उनसे नाराज थे।