जयपुर। राज्य में बहुजन समाजपार्टी के छह विधायकों को तोड़कर कांग्रेस में शामिल कराने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राज्य में और ज्यादा मजबूत होकर उभरे हैं। गहलोत के इस मास्टर स्ट्रोक से उपमुख्यमंत्री सचिव पायलट उतने ही कमजोर हुए हैं। अब राज्य में कांग्रेस के 106 विधायक हो गए हैं। जिसके बाद राज्य सरकार को कोई खतरा नहीं हैं। लिहाजा मुख्यमंत्री के तौर पर गहलोत को मिलने वाली चुनौतियां फिलहाल एक तरह से खत्म हो गई हैं।

अपने जादू से किसी दौर में लोगों को अपने बस मे करने वाले राज्य के सीएम अशोक गहलोत के छह विधायकों को कांग्रेस में शामिल कराया है। हालांकि गहलोत ऐसा पहले भी कर चुके हैं। 2009 में जब राज्य में कांग्रेस की सरकार थी और अशोक गहलोत मुख्यमंत्री थे तो उस वक्त भी उन्होंने बसपा के छह विधायकों को तोड़कर पार्टी में शामिल कराया था।

हालांकि उस वक्त राज्य में गहलोत के विरोधी कम थे। लेकिन इस बार राज्य में अशोक गहलोत को प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट से चुनौती मिल रही है। हालांकि विधानसभा चुनाव से पहले सचिन पायलट को सीएम की दौड़ में माना जा रहा था। लेकिन गहलोत के आगे उनकी नहीं चली और उन्हें प्रदेश अध्यक्ष के साथ ही उपमुख्यमंत्री के पद पर नियुक्त किया गया।

अब गहलोत ने जो मास्टर स्ट्रोक चला है। उससे सचिन पायलट की भविष्य में सीएम के पद के लिए दावेदारी एक तरह से खत्म हो गई है। गहलोत ने इसके जरिए एक तीर से दो निशाने साधे हैं। पहला तो उन्होंने कांग्रेस को भविष्य में आने वाली दिग्गतों से बचा लिया है। वहीं अपने विरोधियों को चित कर आलाकमान के सामने अपने को मजबूत किया है।

अब राज्य में दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं और इसके साथ ही शहरी निकाय चुनाव भी सिर हैं। जिसके जरिए उन्होंने छह विधायकों के जिलों में बसपा को एक तरह से खत्म कर स्थानीय स्तर पर उनके संगठन को कांग्रेस में मिला लिया है। राज्य के जानकार भी मान रहे हैं कि राज्य में बसपा के विधायकों के शामिल होने के बाद कांग्रेस को फायदा मिलेगा।

असल में गहलोत ने अभी तक उन्हें आंख दिखाने वाले कांग्रेस विधायकों की भी बोलती बंद कर दी है। क्योंकि राज्य में पूर्ण बहुमत न होने और निर्दलीय विधायकों के समर्थन के कारण सरकार पर हमेशा ही खतरा मंडरा रहा था। लेकिन बसपा विधायकों को पार्टी में शामिल कराने के बाद अब राज्य में कांग्रेस सरकार को किसी भी तरह से खतरा नहीं है।