नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन को अगले छह महीने के लिए बढ़ा दिया है। जाहिर है इससे ये तय हो गया है कि राज्य में चुनाव होने में अभी वक्त है। केन्द्र सरकार के इस फैसले के बाद राज्य में आतंक फैलाने वालों की शामत आएगी। क्योंकि राष्ट्रपति शासन सुरक्षा बलों आतंकियों के खिलाफ अभियान कारगर तरीके से चला सकते हैं, जबकि राज्य की चुनी गयी सरकार उन्हें आतंक के खिलाफ अभियान में मदद नहीं देती है। राज्य में पूर्व मुख्यमंत्री महमूबा मुफ्ती ने अपने कार्यकाल के दौरान पत्थर बाजों से मुकदमे हटा लिए थे।

केन्द्रीय कैबिनेट ने इस पर अपनी मुहर लगा दी है और राष्ट्रपति से इसकी मंजूरी मिलने के बाद ये तीन जुलाई से अगले छह महीने के लिए लागू हो जाएगा। राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्य में ना ही विधानसभा चुनाव होंगे और ना ही किसी की सरकार बन सकती है। ये समयसीमा अगले महीने तीन जुलाई से लागू होगी।

असल में बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस पर फैसला लिया गया है। गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में पिछले साल 20 जून से राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है। उस वक्त तक राज्य में पीडीपी और बीजेपी की सरकार चल रही थी। बीजेपी पीडीपी के फैसलों से नाराज थी। क्योंकि राज्य की सीएम महमूबा मुफ्ती ने राज्य के हजारों पत्थर बाजों से मुकदमें हटा लिए थे।

ये पत्थरबाज सेना और सुरक्षा बलों पर पत्थरों से हमले करते हैं और आतंकियों को इसके जरिए मदद पहुंचाते हैं। कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद राज्य में राष्ट्रपति शासन को लागू करने वाली के फैसले के पत्र में हस्ताक्षर करेंगे और उसके बाद तीन जुलाई से ये राज्य में लागू हो जाएगा। गौरतलब है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद भारतीय सेना और सुरक्षा बलों ने कई आतंकियों को ढेर किया है और ये अभियान जारी है।