नई दिल्ली: अमित शाह ने पीएम मोदी के बाद देश के सबसे अहम गृहमंत्री पद को संभाल लिया है। उनकी वरिष्ठता की पहचान इसी से हो सकती है कि वह पीएम मोदी के देश से बाहर जाने पर सरकार की उसी तरह अगुवाई करेंगे, जिस तरह राजनाथ सिंह करते थे। हम कह सकते हैं कि उनके पास नरेन्द्र मोदी की अनुपस्थिति में प्रधानमंत्री के सभी अधिकार होंगे। 

सिर्फ इतना ही नहीं अमित शाह आंतरिक सुरक्षा के लिए जिम्मेदार सीआईएसएफ, बीएसएफ,सीआरपीएफ,आईटीबीपी,एसएसबी जैसे सभी सात अर्द्धसैनिक बलों की कमान संभालेंगे। 

यहां तक कि एनआईए जैसी जांच एजेन्सी भी गृह मंत्रालय को ही अपनी रिपोर्ट देगी। अमित शाह कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी का हिस्सा होंगे, जो कि सुरक्षा संबंधित सभी मामलों पर नजर रखती है। इसके अलावा वह अप्वाइंटमेन्ट कमिटी ऑफ कैबिनेट यानी एसीसी के भी सदस्य होंगे, जिसकी अध्यक्षता खुद प्रधानमंत्री करते हैं। यह कमिटी कैबिनेट सचिव और होम सेक्रेटरी जैसे सभी अहम नियुक्तियों के लिए जिम्मेदार होती है। 

भारत की आंतरिक खुफिया एजेन्सी इंटेलिजेन्स ब्यूरो और इमिग्रेशन ब्यूरो भी गृह मंत्रालय को ही रिपोर्ट देती है। 

गृह मंत्रालय भारतीय पुलिस सेवा की कैडर अथॉरिटी है। सभी आईपीएस, आईएएस अधिकारियों की नियुक्तियां गृह मंत्रालय ही करता है। यानी अमित शाह का दखल सभी उच्चस्तरीय सरकारी नियुक्तियों में होगा। 

अमित शाह का मंत्रालय सभी राज्यों के पुलिस महानिदेशकों की नियुक्ति के दौरान समन्वय का भी काम करेगा।
 
ऐसी उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में सरकार जम्मू कश्मीर के आतंकवाद के खिलाफ कुछ सख्त कदम उठाएगी। 

वह सोमवार को सभी अर्द्धसैनिक बलों के महानिदेशकों और गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। 

गृह मंत्रालय के सामने फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती घाटी का आतंकवाद और नक्सलवाद है। हालांकि पिछले पांच सालों में किसी बड़े शहर में आतंकी हमला नहीं हुआ है। लेकिन आतकियों ने सुरक्षा बलों को निशाना जरुर बनाया है।