दरअसल, अनिल अंबानी ने यह पत्र राहुल को इसलिए लिखा था क्योंकि राफेल सौदा मिलने के समय रिलायंस डिफेंस के पास रक्षा क्षेत्र के मैन्युफैक्चरिंग कोई अनुभव न होने का राहुल गांधी ने आरोप लगाया था। इस आरोप को अपने ऊपर से हटाने के लिए अनिल अंबानी ने यह पत्र लिखा था। पत्र में अनिल अंबानी ने राहुल गांधी को बताते हुए कहा कि रिलायंस डिफेंस के पास पानी वाले जहाज यानी शिप बनाने का अनुभव था। 

अंबानी ने पत्र में कहा कि डसॉल्ट एविएशन के साथ संयुक्त उद्यम से भारत में हजारों नौकरियों का सृजन होगा और वैमानिकी तथा रक्षा विनिर्माण क्षेत्र के इंजिनियरों को मूल्यवान प्रशिक्षण और कौशल उपलब्ध कराया जा सकेगा।

अंबानी ने पत्र में कहा कि उनके समूह का डसॉल्ट के साथ संयुक्त उद्यम वैमानिकी और रक्षा क्षेत्र के लिए कलपुर्जे तथा प्रणाली बनाने के लिए है। रिलायंस डिफेंस के पास गुजरात के पिपावाव में प्राइवेट सेक्टर का सबसे बड़ा शिपयार्ड है। हम मौजूदा समय में भारतीय नौसेना के लिए 5 ऑफशोर पेट्रोलिंग वेसल और भारतीय तटरक्षकों के लिए 14 फास्ट पेट्रोलिंग वेसल बना रहे हैं। उन्होंने बताया कि फ्रांस से 36 राफेल विमान खरीदे जा रहे हैं, जो डसॉल्ट की उत्पादन यूनिट से तैयार स्थिति में भारत भेजे जाएंगे। भारतीय वायु सेना या किसी भी भारतीय कंपनी का इसमें कोई रोल नहीं है। 

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दिसंबर, 2017 में मोदी सरकार पर हमला साधते हुए कहा था कि मोदी सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को नजरअंदाज कर के अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस लिमिटेड के पक्ष में फैसला लिया है। इतना ही नहीं राहुल ने अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस लिमिटेड के बारे में यह भी कहा कि इन्हें हवाई जहाज बनाने का कोई अनुभव नहीं है।