देश भर में चर्चा का बाजार तब गरम हो गया, जब सेना के तीनो अंगों के प्रमुखों की बैठक रक्षा मंत्री से होने की खबर बाहर आई। यह बैठक संसद भवन परिसर में ही हुई। 

बाद में यह खुलासा हुआ कि यह बैठक हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड से संबंधित थी। इस बैठक में एचएएल के सीएमडी आर माधवन भी मौजूद थे।

दोपहर बाद आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत, एयर फोर्स चीफ एयर चीफ मार्शल बीएस धनोओ और नेवी चीफ एडमिरल सुनील लांबा को संसद परिसर में देखा गया। 

तीनो सैन्य प्रमुखों के साथ रक्षा मंत्री की यह बैठक इसलिए अहम मानी जा रही है क्योंकि कुछ दिनों पहले खबर आई थी, कि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के पास अपने कर्मचारियों को देने के लिए पैसा नहीं है और उसे इसके लिए एक हजार करोड़ का ओवरड्राफ्ट लेना पड़ा है। 

इस मुद्दे को लेकर विपक्ष सरकार को घेर रहा था। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्विट करके रक्षा मंत्री से यह साबित करने को कहा था कि एचएएल को एक लाख करोड़ का ठेका दिया गया है। उन्होंने इस मुद्दे पर रक्षा मंत्री का इस्तीफा भी मांगा था। 

दरअसल रक्षा मंत्री ने सदन में यह बयान दिया था कि एचएएल को बड़ा ठेका दिया गया है। जिसपर राहुल गांधी ने सवाल उठाया था। 

राहुल गांधी के सवाल के जवाब में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने ट्विट करके कहा था कि  'यह शर्म की बात है कि कांग्रेस के अध्यक्ष देश को गुमराह कर रहे हैं। एचएएल ने 2014 से 2018 के बीच 26,570.0 करोड़ रुपये के सौदों पर दस्तखत किए और 73,000 करोड़ रुपये के कॉन्ट्रैक्ट्स पाइपलाइन में हैं। क्या राहुल गांधी सदन में देश से माफी मांगेंगे?' 

इस विवाद के बाद आज तीनो सेनाध्यक्षों की मुलाकात रक्षा मंत्री और एचएएल के प्रमुख से हुई। 

सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि इस बैठक का मुख्य मुद्दा एचएएल का सेना पर बकाया रकम से जुड़ा हुआ था। ऐसी खबर भी है कि भारतीय वायुसेना पर हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड का चौदह हजार करोड़ रुपए बकाया है।