वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, सीबीआई में विवाद होना दुर्भाग्यपूर्ण है। यह एक असाधारण स्थिति है, इसकी निष्पक्ष जांच जरूरी है।
सरकार ने सीबीआई के दो वरिष्ठ अधिकारियों को जबरन छुट्टी पर भेजने के फैसले का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि सीबीआई जैसे संस्थान की निष्पक्षता बनी रहे, इसके लिए जरूरी था कि जांच पूरी होने तक दोनों अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया जाए। जेटली ने कहा कि सरकार इस मामले में सीधी कार्रवाई नहीं कर सकती। केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के पास सीबीआई से संबंधित भ्रष्टाचार की जांच का अधिकार है। उसकी सिफारिश पर ही यह कदम उठाया है।
सीबीआई के चीफ आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के बीच 'जंग' छिड़ी हुई है। वर्मा ने अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई है।
जेटली ने कहा, सीबीआई में विवाद होना दुर्भाग्यपूर्ण है। यह एक असाधारण स्थिति है, इसकी निष्पक्ष जांच जरूरी है। सीबीआई की एक संस्थान के तौर पर साख बचाए रखने के लिए दोनों अधिकारियों को छुट्टी पर भेजा गया।
To maintain the institutional integrity of CBI and in the interest of fairness, purely as an interim measure,they will sit out by going on leave. An SIT not functioning under either of these officers will investigate. This is in accordance with highest standards of fairness: FM pic.twitter.com/czLs3AKpfm
— ANI (@ANI) October 24, 2018
विपक्ष द्वारा उठाए जा रहे सवालों पर बोले, 'दोनों अफसरों को छुट्टी पर भेजने का विरोध कर रहे विपक्ष से पूछना चाहता हूं कि क्या दोनों आरोपी अफसरों को ही जांच में शामिल करना चाहिए था?' उन्होंने राकेश अस्थाना के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी होने के आरोपों पर कहा कि यह मीडिया की उपज है।
जेटली ने कहा, हम सीबीआई के अधिकारियों में किसी को दोषी नहीं मान रहे हैं। कानून के मुताबिक, जबतक जांच पूरी नहीं होती, दोनों अधिकारियों को बाहर कर दिया गया है। यदि जांच में उनकी भूमिका पर सवाल नहीं उठता तो वे अपने कार्यभार फिर संभाल लेंगे। लेकिन निष्पक्ष जांच के लिए जरूरी था कि जांच की अवधि तक अधिकारियों को सीबीआई से बाहर रखा जाए।
जेटली ने कहा, सीवीसी निगरानी अथॉरिटी है। वह जांच के लिए एसआईटी का गठन करेगी। सरकार की इस मामले में कोई भूमिका नहीं है और न ही सरकार इसमें कोई भूमिका अदा करना चाहती है। जेटली ने बताया कि मंगलवार को सीवीसी की मीटिंग हुई और फिर सरकार ने यह फैसला लिया है। लिहाजा, सरकार की भूमिका पर सवाल उठाने का कोई आधार नहीं है।
इससे पहले, विपक्षी दलों ने सीबीआई के अधिकारियों को छुट्टी पर भेजने के खिलाफ सरकार पर हमला बोला। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने दावा किया कि सीबीआई को ‘ध्वस्त करने, इसकी प्रतिष्ठा गिराने और नष्ट करने’ के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिम्मेदार हैं। सुरजेवाला ने केंद्र पर सीबीआई, ईडी और ऐसे अन्य संस्थानों की स्वतंत्रता को कुचलने का आरोप लगाया।
PM Modi has buried the last nail in the independence of CBI. The systematic dismantling & disintegration of CBI is complete. PM's systematic attack on credibility & capacity of CBI has now ensured that its credibility is dead & buried: Randeep Surjewala, Congress pic.twitter.com/2IRcc5WD7R
— ANI (@ANI) October 24, 2018
वहीं माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा- उन्हें नहीं पता कि सीबीआई राफेल डील के बारे में डांच कर रही थी या नहीं लेकिन अगर कर रही थी तो शायद इसी वजह से सरकार, पीएम और उनके चुनिंदा अधिकारियों की सुरक्षा की जा रही है। येचुरी ने कहा कि उन्हें समझ नहीं आया कि जो ऑफिसर अस्थाना के केस की जांच कर रहे थे उन्हें काला पानी पोर्ट ब्लेयर क्यों भेज दिया गया।
The Modi govt & the Prime Minister have conducted a political coup against the CBI. They have conducted transfer of all the officers & directors, & main objective appears to be to protect the chosen officers of the Prime Minister posted at CBI: Sitaram Yechury, CPI (M) pic.twitter.com/glMh1ToyBg
— ANI (@ANI) October 24, 2018
कांग्रेस और लेफ्ट द्वारा राफेल डील की जांच को रोकने के मकसद से कार्रवाई करने के आरोपों पर जेटली ने कहा, ये सब बकवास है। क्या विपक्ष को पता है कि सीबीआई के भीतर क्या चल रहा है?
उधर, राकांपा प्रमुख शरद पवार ने मुंबई में कहा कि अगर मौजूदा सरकार प्रभावी होती तो सीबीआई में उच्चतम स्तर पर रिश्वतखोरी के आरोप नहीं लगते। ‘प्रधानमंत्री को कार्रवाई करनी चाहिए।’
Last Updated Oct 24, 2018, 1:24 PM IST