केन्द्र सरकार ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार की मेट्रो में महिलाओं की मुफ्त में यात्रा के प्रस्ताव का खारिज कर दिया है। ये केजरीवाल सरकार के लिए बड़ा झटका है। दो दिन पहले ही डीटीसी ने भी केजरीवाल सरकार से बसों में महिलाओं के मुफ्त यात्रा के लिए फिर से विचार करने को कहा था। हालांकि इससे पहले मेट्रोमैन श्रीधरन ने भी केन्द्र सरकार से इस पर सहमति न देने की मांग की थी।

दिल्ली में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने हैं। इससे पहले ही केन्द्र की मोदी सरकार केजरीवाल सरकार को बड़ा झटका दिया है। केन्द्र ने साफ कर दिया है कि वह मेट्रो में फ्री राइड के फैसले में केजरीवाल सरकार के साथ नहीं है। असल में दिल्ली मेट्रो में दिल्ली सरकार के साथ ही केन्द्र सरकार की हिस्सेदारी है और दोनों की सहमति से ही केजरीवाल सरकार अपने प्रस्ताव को लागू कर सकती है।

केन्द्र की मोदी सरकार ने सीधे तौर से केजरीवाल के 'मेट्रो फ्री राइड' प्रस्ताव को किया खारिज। यही नहीं केजरीवाल सरकार के इस प्रस्ताव के विरोध में मेट्रोमैन श्रीधरन भी थे। उन्होंने साफ कह दिया था कि मेट्रो का निर्माण इसके लिए नहीं किया गया है। मुफ्त की यात्रा से मेट्रो पर आर्थिक बोझ पड़ेगा और इससे दुष्परिणाम सामने आएंगे।

श्रीधरन ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर दिल्ली सरकार के इस प्रस्ताव पर सहमत न होने की गुजारिश की थी। उन्होंने कहा था कि जब मेट्रो की शुरूआत हुई थी तो ये बात साफ कर दी गयी थी यात्रा के लिए किसी को भी छूट नहीं दी जाएगी। यहां तक कि तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने मेट्रो की यात्रा टिकट लेकर की और उन्होंने भी दिसंबर 2002 में शाहदरा से कश्मीरी गेट तक पहली यात्रा टिकट लेकर की।

हालांकि केजरीवाल सरकार का कहना है कि मेट्रो का खर्चा दिल्ली सरकार उठाएगी और इसमें करीब एक हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा। हालांकि केन्द्र और मेट्रो के तर्क हैं कि अगर एक समाज को छूट दी जाएगी तो छात्र, विकलांग, वरिष्ठ नागरिक भी छूट की मांग करेंगे। वहीं इससे पहले केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी मेट्रो में फ्री राइड पर आपत्ति जताई थी।