दसॉल्ट एविएशन के सीईओ एरिक ट्रैपियर ने गुरुवार को कांग्रेस के आरोपों को खारिज कर दिया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने राफेल सौदे में अनिल अंबानी की कंपनी को 30,000 करोड़ रुपये का ऑफसेट दिलवाया। ट्रैपियर ने कहा कि दसॉल्ट ने ऑफसेट पार्टनर के रूप में अंबानी की कंपनी को ज्वाइंट वेंचर के लिए चुना जिसमें रिलायंस की ऑफसेट में हिस्सेदारी केवल 10 प्रतिशत की है।

पिछले दिनों ने सरकारी सूत्रों ने बताया भी था कि इस मेगा डील में अंनिल अंबानी की कंपनी को 6500 करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार नहीं मिलेगा लेकिन कांग्रेस आरोप लगा रही है कि प्रधानमंत्री मोदी ने पूरा कॉन्ट्रेक्ट रिलायंस को दे दिया है।

"ऑफसेट करार पर हस्ताक्षर भारतीय कानून (रक्षा खरीद प्रक्रिया) की शर्तों के अनुसार किया गया है। ऑफसेट करार पूरी तरह से भारतीय कानून के मुताबिक है और इसमें हिस्सेदार का चुनाव हमारी पसंद से किया गया है" यह बात दसॉल्ट के सीईओ ने कही है। 

दसॉल्ट के सीईओ एरिक ट्रैपियर ने एएफपी को दिए इंटरव्यू में कहा है कि "दसाल्ट एविएशन ने इस करार में नागपुर में प्लांट लगाने का फैसला किया जो दसॉल्ट रिलायंस एयरोस्पेस लिमिटेड (DRAL)नाम से संयुक्त उद्यम के अधीन है, जिससे लगभग 10 प्रतिशत ऑफसेट जिम्मेदारियों की पूर्ति होगी। हम लगभग 100 भारतीय कंपनियों से बातचीत कर रहे हैं जिनमें वो तीस कंपनियां भी शामिल हैं जिनसे हमारी साझेदारी तय हो चुकी है।


कांग्रेस के आरोपों, ऑफसेट में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के ऊपर रिलायंस को चुने जाने, पर स्पष्टीकरण देते हुए दसॉल्ट के सीईओ ने कहा कि भारत में दसॉल्ट ने रिलायंस के साथ मिलकर दसॉल्ट रिलायंस एयरोस्पेस लिमिटेड (DRAL)बनाकर दीर्घकालीन योजना बनाई है। संयुक्त उद्यम डीआरएएल का संचालन पूरी तरीके से भारतीय सीईओ (कार्यकारी निदेशक, एनडीएलआर) और फ्रेंच सीओओ (संचालन निदेशक, एनडीएलआर) द्वारा सुनिश्चित किया जाता है। इस तरह दसॉल्ट एविएशन ने टेक्निकल के साथ इंडस्ट्रियल ऑपरेशन में मानकों और फ्लेक्सिबिलिटी को लागू किया है। 

ट्रैपियर ने साफ किया कि संयुक्त उद्यम कंपनी बिज़नेस जेट फॉल्कन के साथ राफेल विमान के कुछ हिस्सों का उत्पादन करेगी ना कि पूरे विमान का जैसा कि भारत का मुख्य विपक्षी दल आरोप लगा रहा है।

भारत में विवाद के बारे में पूछे जाने पर, ट्रैपियर ने कहा, "विवाद दुखद हैं लेकिन हम शांत हैं।" उन्होंने कहा, "श्री संपथकुमारन एसटी डीआरएएल में  एक भारतीय सीईओ हैं और नागपुर के फर्म में सब सही है।"