बहुजन समाज पार्टी के इतिहास में मायावती ने पहली बार उपचुनाव में किस्मत को आजमाने का फैसला किया था। बसपा इससे पहले कभी उपचुनाव नहीं लड़ी बल्कि वह उपचुनाव के जरिए जनता का मूड भांपने का काम करती थी। लेकिन पहली बार मायावती की अगुवाई में पार्टी ने राज्य की 11 सीटों पर प्रत्याशियों को उतारे। हालांकि पार्टी ये मान कर चल रही थी कि लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन का फायदा उसे मिलेगा। लेकिन बसपा को हार का सामना करना पड़ा।
लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने पहली बार उपचुनाव में उतरने का फैसला किया। लेकिन ये अनुभव भी माया के लिए कड़वा साबित हुआ है। मायावती अपने गढ़ जलालपुर की सीट भी नहीं बचा पाई है। ये सीट समाजवादी पार्टी के खाते में गई है। वहीं उपचुनाव में देखें तो बसपा तीसरे नंबर की पार्टी बन गई है। जबकि लोकसभा चुनाव में बसपा दूसरे नंबर की पार्टी थी।
बहुजन समाज पार्टी के इतिहास में मायावती ने पहली बार उपचुनाव में किस्मत को आजमाने का फैसला किया था। बसपा इससे पहले कभी उपचुनाव नहीं लड़ी बल्कि वह उपचुनाव के जरिए जनता का मूड भांपने का काम करती थी। लेकिन पहली बार मायावती की अगुवाई में पार्टी ने राज्य की 11 सीटों पर प्रत्याशियों को उतारे। हालांकि पार्टी ये मान कर चल रही थी कि लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन का फायदा उसे मिलेगा। लेकिन बसपा को हार का सामना करना पड़ा। पार्टी अंबेडकरनगर की वो सीट भी हार गई। जिसे बसपा का गढ़ समझा जाता था।
हालांकि लोकसभा चुनाव में बसपा ने समाजवादी पार्टी से गठबंधन कर 10 सीटें जीती थी। लेकिन महज चार महीने में ही जनता ने उपचुनाव लड़ने की मायावती की हसरतों को झटका दे दिया है। उपचुनाव में सपा ने अच्छा प्रदर्शन कर तीन सीटें जीती हैं। जबकि बसपा को एक भी सीट नहीं मिली है। यही नहीं उपचुनाव के नतीजों को देखें तो बसपा राज्य में राजनीतिक तौर पर तीसरे नम्बर की पार्टी बन गई है। इस उपचुनाव में बसपा को 17.02 फीसदी वोट मिले हैं। जो कांग्रेस से महज छह फीसदी ज्यादा हैं। इस उपचुनाव में बसपा ने राज्य के किसी भी हिस्से में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है। पश्चिम, बुंदेलखण्ड और पूर्वाचल सभी क्षेत्रों की विधानसभा सीटों पर बसपा के प्रत्याशियों को नकार दिया है।
बसपा नेतृत्व ने जलालपुर उपचुनाव में कद्दावर नेता व विधायक दल के नेता लालजी वर्मा की बेटी छाया वर्मा पर दांव लगाया। लेकिन यहां पर सपा प्रत्याशी सुभाष राय से 823 वोटों से हरा दिया है। उपचुनाव की अन्य सीटों गोविन्दनगर (कानपुर), लखनऊ कैंट, गंगोह, इगलास, बलहा, घोसी, रामपुर, प्रतापगढ़ सदर, जैदपुर और मानिकपुर के नतीजे भी कुछ ज्यादा उत्साह जनक नहीं रहे हैं। वहीं पश्चिमी यूपी में बसपा गंगोह सीट पर बसपा चौथे स्थान पर रही। सबसे ज्यादा झटका पार्टी को रामपुर सीट पर लगा है।
क्योंकि यहां पर बसपा उम्मीदवार अपनी जमानत नहीं बचा सका। जबकि लोकसभा चुनाव के बाद माना जा रहा था कि मुस्लिम मतदाताओं का झुकाव बसपा की तरफ बढ़ा है। इस उपचुनाव में सपा को 22.62 प्रतिशत तो बसपा को 17.02 फीसद वोट मिले हैं। जबकि भाजपा के खाते में 35.62 प्रतिशत वोट आए हैं और वह सात सीट जीतने में कामयाब रही है। वहीं एक सीट अपना दल प्रत्याशी ने जीती है।
Last Updated Oct 25, 2019, 8:28 AM IST