'छापामार' राजनीति में व्यस्त कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा स्पेशल प्रोटेक्शन गार्ड (एसपीजी) को लेकर किए गए दावे का केंद्रीय गृहमंत्रालय ने खंडन किया है। राहुल ने कुछ दिन पहले कहा था, एसपीजी प्रमुख ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के दबाव के आगे न झुकते हुए पद छोड़ दिया। उन्होंने खुद यह बात बताई थी।

मीडिया में राहुल के हवाले से आई इन खबरों के बाद केंद्रीय गृहमंत्रालय की ओर से एक बयान जारी किया गया है। इसके मुताबिक, मामले की जांच की गई है। संबंधित अधिकारी और एसपीजी के पूर्व निदेशक विवेक श्रीवास्तव ने साफ तौर पर कहा कि किसी भी समय पर उनकी राहुल गांधी से इस मुद्दे पर कोई बात नहीं हुई। उन्होंने कहा कि अपनी पेशेवर जिम्मेदारियों को निभाते समय वह एसपीजी के सुरक्षा घेरे में चलने वाले अतिविशिष्ट लोगों से बात करते हैं, लेकिन राहुल गांधी से हुई बातचीत के दौरान उन्होंने कभी नए डायरेक्टर की नियुक्ति के मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं की। न ही उन्हें कभी अपने पद छोड़ने की वजह बताई। 

बयान में कहा गया है कि एसपीजी एक पेशेवर संगठन है। उसकी जिम्मेदारी प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिवारों को सुरक्षा प्रदान करना है। एसपीजी यह काम बड़ी ही गंभीरता और उच्च पेशेवर भावना के साथ करती है। मीडिया में राहुल गांधी की ओर से दिया गया बयान आधारहीन है। यह तथ्यों से परे और दुर्भाग्यपूर्ण है। 

दरअसल, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर हमला करते हुए एक कार्यक्रम में राहुल ने कहा था, 'मोदीजी जब सत्ता में आए तो उन्होंने एक व्यक्ति को एसपीजी का प्रमुख चुना था। कुछ  समय बाद उस व्यक्ति ने मुझसे कहा कि वह अपना पद छोड़ रहा है। उसने कहा कि मुझे आरएसएस के लोगों की सूची सौंपी गई है, जिन्हें एसपीजी में भर्ती किया जाना है। मैंने ऐसा करने से मना कर दिया है। ये उनका विचार है कि कोई भी ऐसा संस्थान न बचे, जहां संघ के लोग न हों।' 

राहुल ने कहा, 'संघ प्रमुख मोहन भागवत कहते हैं कि राष्ट्र को संगठित करेंगे। मैं पूछता हूं कि आप कौन हैं, जो राष्ट्र को संगठित करेंगे। क्या आप ईश्वर हैं? राष्ट्र खुद को स्वयं संगठित करेगा। यह आपका एक दिवास्वप्न है जो आने वाले दिनों खत्म हो जाएगा।'