कोलकाता। पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का दोहरा चेहरा सामने आ गया है। एक तरफ जहां ममता बनर्जी संसद के मॉनसून सत्र के दौरान प्रश्नकाल को रद्द करने के लिए हंगामा काट रही हैं। वहीं पश्चिम बंगाल में विधानसभा सत्र में प्रश्नकाल को रद्द कर रही है।राज्य में ममता सरकार केन्द्र सरकार का अनुसरण किया हैं

जानकारी के मुताबिक राज्य में 9 सितंबर से बंगाल विधानसभा का मॉनसून सत्र शुरू होगा और ये सिर्फ दो दिन का होगा और इसमें प्रश्नकाल नहीं रखा गया है। जबकि संसद के प्रश्नकाल को लेकर ममता सरकार केन्द्र सरकार का विरोध कर रही है। हालांकि केन्द्र सरकार का कहना है कि प्रश्नकाल को रद्द करने के लिए विपक्षी दलों से सलाह ली गई थी और ममता बनर्जी की पार्टी ने भी इसके लिए सहमति दी थी। वहीं अब ममता बनर्जी की पार्टी इसका विरोध कर रही है।  पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस भले ही भाजपा का खिलाफ हमले कर रही है। लेकिन राज्य  में वह केन्द्र सरकार के सर्वसम्मति से लिए गए फैसले को लागू कर रही है।

राज्य के पश्चिम बंगाल विधानसभा के स्पीकर बिमान बंदोपाध्याय ने इस बात की पुष्टि की है कि राज्य में मानसून सत्र में प्रश्नकाल नहीं होगा। इसमें राज्य सरकार जरूरी विधेयकों को पेश करेगी। राज्य में स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के कारण विधायकों को लंबे समय तक विधानसभा अंदर नहीं रखना चाहते हैं। वहीं विधानसभा अध्यक्ष ने घोषणा की थी कि राज्य में दो दिवसीय मॉनसून सत्र का आयोजन किया जाएगा और ये 9 सितंबर को शुरू होगा और विधानसभा सत्र में भाग लेने वाले सभी विधायकों के कोविड रैपिड एंटीजन टेस्ट कराए जाने की व्यवस्था की जा रही है। हालांकि टीएमसी प्रमुख मोदी सरकार पर 'लोकतंत्र की हत्या' करने का आरोप लगा रही है। जबकि राज्य में ममता सरकार प्रश्नकाल से किनारा कर रही है।