पांच बार तमिलनाडु के मुख्‍यमंत्री रहे और 'कलाईनार' के नाम से प्रसिद्ध डीएमके सुप्रीमो करुणानिधि का मंगलवार शाम 94 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह पिछले कई दिनों से चेन्नई के कावेरी अस्पताल में भर्ती थी। द्रविड़ आंदोलन के प्रणेता करुणानिधि करीब 6 दशक लंबे राजनीतिक करियर में तमिलनाडु की राजनीति के शिखर पुरुष बने रहे। वह 50 साल तक डीएमके के अध्यक्ष रहे। 

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई वरिष्ठ नेताओं ने करुणानिधि के निधन पर शोक जताया है। पीएम मोदी ने अपने शोक संदेश में करुणानिधि को देश का वरिष्ठतम नेता बताया। वहीं प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से किए गए एक ट्वीट में कहा गया है कि वह करुणानिधि की श्रद्धांजलि देने बुधवार को चेन्नई जाएंगे। 

इससे पहले, सोमवार को करुणानिधि की तबीयत और ज्‍यादा खराब हो गई थी। मंगलवार शाम को कावेरी अस्‍पताल ने पहले कहा कि 'पिछले कुछ घंटों में करुणानिधि की हालत में काफी गिरावट आई है। पूरे मेडिकल सपॉर्ट के बाद भी उनके अंगों के काम करने की गति कम होती जा रही है। उनकी स्थिति बहुत ही नाजुक और अस्थिर है।' देर शाम अस्पताल ने करुणानिधि के निधन की घोषणा कर दी। करुणानिधि ने शाम 6:10 पर अंतिम सांस ली। करुणानिधि यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन और बुढ़ापे में होने वाली कई बीमारियों से पीड़‍ित थे। करुणानिधि के रक्तचाप में गिरावट आने के बाद  28 जुलाई को उन्हें कावेरी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।  

इस बीच, करुणानिधि के आवास गोपालापुरम में पुलिस का भारी बंदोबस्त किया गया है। करुणानिधि के निधन का समाचार आते ही उनके परिवार के सदस्य और वरिष्ठ नेता गोपालापुरम पहुंच रहे हैं।  तमिलनाडु के कई हिस्सों में डीएमके समर्थन अपने नेता की मृत्यु पर गमगीन हैं। हाथों में करुणानिधि की फोटो लिए प्रशंसकों का रो-रोकर बुरा हाल है। बड़ी संख्‍या में महिला प्रशंसक भी करुणानिधि के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए दुआ करने मंगलवार को कावेरी अस्पताल पहुंची थीं। राज्य सरकार ने उनके निधन के चलते अगले दो दिन तक के लिए सभी सरकारी काम को निलंबित कर दिया है। इस बीच, लोग 'बंद' की आशंका के मद्देनजर जरूरी सामान की आपूर्ति करते देखे जा रहे हैं। 

बहुमुखी प्रतिभा के धनी करुणानिधि तमिल भाषा पर अच्‍छी पकड़ रखते थे। उन्‍होंने कई किताबें, उपन्‍यास, नाटक और तमिल फिल्‍मों के लिए संवाद लिखे। तमिल सिनेमा से राजनीति में कदम रखने वाले करुणानिधि करीब छह दशकों के अपने राजनीतिक जीवन में एक भी चुनाव नहीं हारे। करुणानिधि के समर्थक उन्हें प्यार से 'कलाईनार' यानी 'कला का विद्वान' कहते हैं।