डीआरडीओ ने गुरुवार को सफलतापूर्वक मैन पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल यानी एमपी-एटीजीएम का परीक्षण किया। पिछले चौबीस घंटे में इसका परीक्षण दो बार किया गया है। वजन में बेहद हल्की और एक आदमी के संभालने लायक इस मिसाइल का परीक्षण राजस्थान में किया गया। 

एमपी एटीजीएम मिसाइल अत्याधुनिक इमेजिंग इंफ्रारेड रडार(आईआईआर) सिस्टम से लैस है। इसकी खासियत है कि इसे एक बार फायर करने के बाद किसी भी सूरत में टार्गेट बच नहीं सकता। यह मिसाइल उसे ढूंढ़कर खत्म कर देगी। 

यह तीसरी पीढ़ी की टैंकरोधी मिसाइल है। इसका वजन 14.5 किलो है, जिसे एक आदमी आराम से ढो सकता है। इसे 2.5(ढाई) किलोमीटर की रेंज से दागा जा सकता है। इसे कंधे और स्टैण्ड दोनों पर रखकर फायर किया जा सकता है। इसे मेक इन इंडिया के तहत भारत में ही बनाया गया है।

इस मिसाइल को टैंक, लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर के साथ साथ कंधे पर रखकर भी इस्तेमाल किया जा सकता है। 

इसकी तुलना अमेरिका की एफजीएम-148 मिसाइल से की जा सकती है। जिसे संक्षेप में जैवलिन मिसाइल कहते हैं। अमेरिका ने भारत को अपनी यह एंटी टैंक मिसाइल बेचने की पेशकश की थी। लेकिन भारत ने मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत अपनी खुद की मिसाइल को विकसित करना बेहतर समझा । 

इससे पहले इस सप्ताह की शुरुआत में डीआरडीओ ने मल्टी बैरल पिनाक रॉकेट लांचर सिस्टम के भी तीन परीक्षण किए गए। 
यह सभी परीक्षण भारतीय सेना के लिए बेहद जरुरी थे। इनके जरिए सेना को विश्वसनीय, उच्चस्तरीय और बेहद समर्थ हथियार सिस्टम मिलने की उम्मीद है। 

पिनाक मल्टी बैरल रॉकेट लांचर खुद को बिना किसी नुकसान के दुश्मन को पूरी तरह नेस्तनाबूत कर देने में पूरी तरह सक्षम है। भारतीय सेना ने पिनाक मार्क 1 का इस्तेमाल 1999 के करगिल युद्ध के समय भी किया था। 

इस रॉकेट प्रणाली का नाम भगवान शिव के धनुष पिनाक के नाम पर रखा गया है। 

इससे पहले पिनाक मल्टी बैरल रॉकेट सिस्टम 44 सेकेंड में 12 रॉकेट फायर कर सकता था। लेकिन बाद में शोध और परीक्षण के बाद इसकी क्षमता बढ़ जाने से यह रॉकेट सिस्टम और घातक हो चुका है। नया पिनाक रॉकेट सिस्टम भारतीय सेना को 2020 तक मिल जाएगा।