आगामी लोकसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग कड़े नियम लागू करने जा रही है। खासतौर से सेना और उससे जुड़े मामलों को लेकर। चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को चेतावनी दी है कि अगर चुनाव प्रचार के दौरान सेना और उससे जुड़ी तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया तो उनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी।

शनिवार को ही चुनाव आयोग की अहम बैठक हुई थी। जिसमें चुनाव के दौरान नियमों को कड़े तरीके से लागू करने पर चर्चा हुई। इसमें इस बात पर भी चर्चा हुई कि राजनैतिक दल अपने फायदे के लिए प्रचार सामाग्रियों में सेना और जवानों की तस्वीर लगाते हैं। लिहाजा अब आयोग ने इस पर प्रतिबंध लगाया है। आयोग कहना आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद वे चुनावी फायदे के लिए सैन्य बलों की तस्वीरों और नाम का इस्तेमाल न करें।

असल में पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल एल रामदास ने इस बारे में चुनाव आयोग से कहा था कि आगामी लोकसभा चुनाव में राजनैतिक दल पुलवामा हमला, एयर स्ट्राइक ओर विंग कमांडर अभिनंदन की वापसी पर फायदा लेने की कोशिश कर सकते हैं और वो प्रचार सामाग्री के जरिए जनता को प्रभावित कर सकते हैं। लिहाजा इसके लिए कड़े नियम बनाए जाए ताकि राजनैतिक दल इसका उपयोग न कर सकें।

गौरतलब चुनाव आयोग पहले भी चुनाव के दौरान सेना के इस्तेमाल पर रोक लगा चुकी है। इसके लिए आयोग ने 4 दिसंबर 2013 को एक आदेश जारी किया था कि राजनीति के लिए सेना के नाम का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। लेकिन राजनैतिक दल अकसर सेना का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए करते रहते हैं। आयोग ने राजनैतिक दलों को सलाह दी है कि सेना और उससे सेना से जुड़ी किसी वस्तु का इस्तेमाल न करें तो बेहतर है।

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही आयोग ने सोशल मीडिया को लेकर भी कड़े नियम लागू करने की बात कही थी। इसके तहत कोई भी व्यक्ति चुनाव होने के 48 घंटे पहले इससे संबंधित कोई भी जानकारी शेयर नहीं कर पाएगा। आयोग की कमेटी ने जनप्रतिनिधि कानून 1951 की धारा 126 के तहत सुझाव दिए हैं कि फेसबुक, व्हाट्सऐप और ट्विटर को किसी भी लोकसभा चुनाव क्षेत्र में इससे संबंधित किसी भी तरह की जानकारी को देने से 48 घंटे पहले रोक लगा दी जाए। इसके साथ ही यह रोक मतदान समाप्त होने तक लागू रहेगी।
आयोग ने वरिष्ठ उपचुनाव आयुक्त उमेश सिन्हा की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन कर इस पर सिफारिश मांगी थी। कमेटी का कहना है कि चुनाव से पहले 48 घंटे का वक्त मतदाता को इसलिए दिया जाता है ताकि वो चुप रहकर अपने पंसदीदा उम्मीदवार को वोट दे सके। लेकिन सोशल मीडिया के दौर में कई तरह की जानकारियां और खबरों के जरिए उसे प्रभावित किया जाता है। लिहाजा इस पर प्रतिबंध लगाया जाना जरूरी है। कमेटी के तर्क हैं कि किसी भी उम्मीदवार अथवा पार्टी के बारे में झूठी पोस्ट या फिर फर्जी वीडियो वोटरों को प्रभावित कर सकती है।