पटना। राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियों ने कोरोना संकटकाल में कमर कस ली है और पार्टियां चुनावी रणनीतियों में बदलाव कर अब 'वर्चुअल रैलियों की तरफ मुड़ गए हैं। एक तरफ इसमें खर्चा भी कम है और दूसरा ये पार्टी के विचारधारा से जुड़े हर व्यक्ति तक आसानी से पहुंच सकती है।


हालांकि बिहार में वर्चुवल रैली की शुरूआत भाजपा ने कर दी है और उसी की देखा देखी में राज्य का हर राजनैतिक दल इसके जरिए अपने कार्यकर्ताओं को साधने  में लगा है। हालांकि भाजपा की तुलना में अभी इस मामले में विपक्षी दल पीछे हैं वहीं भाजपा की सहयोगी जनता दल यूनाइटेड कार्यकर्ताओं को साधने में जुट गई है। राज्य में सात जून को भाजपा के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह ने 'वर्चुअल रैली' कर इसका आगाज कर दिया है। वहीं उसकी सहयोगी जदयू भी कार्यकर्ताओं का वर्चुअल सम्मेलन जीत का मंत्र दे रही है।

जदयू अध्यक्ष और बिहार के सीएम नीतीश कुमार पार्टी कार्यकर्ताओं से इसके जरिए चर्चा कर चुके हैं और उन्होंने चुनाव के लिए कार्यकर्ताओं से तैयार रहने को कहा है। भाजपा अपनी सात जून की वर्चुअल रैली की सफलता से गदगद  है और अब राज्य में वह पार्टी के बड़े चेहरों के लिए वर्चुअल रैली रखने जा रही है। भाजपा का दावा है कि सात जून को बिहार वर्चुअल रैली के जरिए 39 लाख लोगों ने शाह को देखा और एक करोड़ से अधिक लोगों ने टीवी पर रैली देखी। फिलहाल भाजपा अन्य दलों की तुलना में इस मामले में आगे निकल गई है और जैसे आम तौर पर रैलियां होती हैं उसी तरह अन्य रैलियों को भी जल्द आयोजित करेगी। वहीं राज्य की सत्ताधारी जदयू के अध्यक्ष नीतीश कुमार कार्यकर्ताओं से जिलावार रूबरू हो रहे हैं।  

सत्ताधारी भाजपा और जदयू के साथ ही मुख्य विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने में जुटी हुई है। हालांकि पार्टी में अभी कोई बड़ा नाम नहीं है और लालू प्रसाद यादव जेल में है। लिहाजा पार्टी की कमान संभाल रहे तेजस्वी यादव फेसबुक और ट्विटर के जरिए समर्थकों से जुड़े हुए हैं। वहीं कांग्रेस भी दावा कर रही है कि डिजिटल कार्यकर्ता बनाएगी और स्तर तक अभियान चलाएगी।