नई दिल्ली/लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी में अब मायावती के बाद दूसरे नंबर के लिए जंग शुरू हो गयी है। मायावती ने अपने भाई आंनद को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद पर फिर से नियुक्त किया है जबकि अपने भतीजे आकाश को राष्ट्रीय समन्वयक बनाया है। लेकिन इन दो नेताओं के बीच राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र की पार्टी में क्या भूमिका होगी। इसको लेकर तरह तरह के कयास लगने शुरू हो गए हैं।

बीएसपी ने लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करते हुए 10 सीटें जीती हैं जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली थी। पार्टी ने यूपी में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन बनाया था, जिसे मायावती ने रविवार को तोड़ दिया है। मायावती ने ऐलान किया है कि अब पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी। लेकिन इसी बीच मायावती ने अपने भाई आंनद को फिर से पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद पर नियुक्त किया है। जबकि भतीजे आकाश को राष्ट्रीय समन्वय नियुक्त किया है।

जिसके बाद ये पूरी तरह से तय हो गया है कि मायावती के परिवार का पार्टी पर पूरी तरह से दखल रहेगा। लेकिन इन सब के बीच पार्टी में दूसरे नंबर पर कौन होगा। ये एक बड़ा सवाल उभरने लगा है। अभी तक पार्टी में दूसरे नंबर पर सतीश चंद्र मिश्र को माना जाता था। जाहिर है कि आंनद और आकाश की एंट्री के बाद मिश्र की ताकत कम होगी। मिश्र को बीएसपी में चाणक्य का दर्जा दिया जाता है।

कभी बाबू सिंह कुशवाहा तो कभी नसीमुउद्दीन सिद्दीकी मायावती के करीबी माने जाते थे और पार्टी के अहम फैसलों में उनकी भूमिका रहती थी। लेकिन इन नेताओं की बढ़ती ताकत को देखते हुए मायावती ने इन्हें पार्टी से बाहर कर दिया। इसके बाद सतीश चंद्र मिश्र को मायावती का सबसे करीबी माने जाने लगा। मिश्र ने 2007 में बीएसपी की सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई और राज्य में भाई चारा समिति का गठन कर उच्च वर्ग का वोट बीएसपी की तरफ ट्रांसफर कराया।

लेकिन आंनद और आकाश के आने के बाद पार्टी में दूसरे नंबर के लिए लडाई शुरू हो गयी है। अगर मायावती के परिवार के लोगों का दखल पार्टी में बढ़ा तो मिश्र की ताकत कम हो जाएगी। हालांकि मायावती ने उन्हें राज्यसभा में नेता दल नियुक्त किया है। उधर मायावती ने अमरोहा से सांसद दानिश अली को लोकसभा में बीएसपी के नेता नियुक्त किया है। बीएसपी में नसीमुद्दीन के बाद कोई बड़ा मुस्लिम चेहरा नहीं था। ऐसे में पार्टी को अमरोहा के सांसद दानिश अली सबसे मुफीद नजर आ रहे हैं। इस बार लोकसभा चुनाव में मुस्लिमों ने बीएसपी को जमकर वोट दिया है।