सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज पीसी घोष का देश का पहला लोकपाल नियुक्त होना तय माना जा रहा है। इसकी घोषणा अगले हफ्ते हो सकती है। लोकपाल नियुक्त करने के लिए बनाई गयी कमेटी ने पीसी घोष का नाम पर अपनी सहमति दी है। हालांकि कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि इस अहम मुद्दे पर विपक्ष की आवाज नहीं सुनी गयी। ऐसा माना जा रहा है कि अगले हफ्ते तक उनकी नियुक्ति के लिए नोटिफिकेशन जारी हो जाएगा।

जानकारी के मुताबिक घोष देश के पहले आधिकारिक लोकपाल नियुक्त होंगे। उनकी नाम पर प्रधानमंत्री की अगुवाई में हुई बैठक में तय हुआ है। इस बैठक में लोकसभा अध्यक्ष, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और ज्यूरी में तय किया गया है। लोकपाल सर्च कमेटी में उनके नाम पर सहमति बन गयी है। ऐसा कहा जा रहा है कि अगले हफ्ते तक उनकी नियुक्ति के लिए सरकार नोटिफिकेशन जारी कर देगी। जस्टिस घोष वर्तमान में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में सदस्य हैं और वह सुप्रीम कोर्ट से 2017 में रिटायर हुए हैं। उनकी नियुक्ति इस पद के लिए चार साल के लिए होगी।  हालांकि लोकपाल अधिनियम के तहत लोकपाल की नियुक्ति पांच साल के लिए होती है।

लोकपाल अधिनियम के तहत लोकपाल का कार्य प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म करना है। जिसमें खासतौर से सरकारी कर्मचारी संलिप्त रहते हैं। लोकपाल के तहत प्रधानमंत्री, केन्द्रीय मंत्रियों के साथ ही सरकारी अफसर और सरकारी कंपनियों में कार्यरत अफसर और कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही की जा सकती है। वह संस्था जो दस लाख से ज्यादा विदेशी चंदा ले रही हैं वह भी लोकपाल के दायरे में आएंगी। लोकपाल को केन्द्रीय सतर्कता आयोग के साथ मिलकर काम करना होता है और साथ ही वह किसी भी जांच एजेंसी को जांचके लिए कह सकती है।

लोकपाल की नियुक्ति के लिए बुलाई गयी कमेटी की बैठक में लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को भी बुलाया गया था, लेकिन उन्होंने इस सेलेक्शन कमेटी की बैठक में हिस्सा लेने से मना कर दिया है। खड़गे का कहना था कि उन्हें स्पेशल आंमत्रित सदस्य के तौर पर बुलाया गया था और उसे नियुक्ति में राय देने का अधिकार नहीं है। लिहाजा इतने अहम मसले पर विपक्ष की कोई आवाज नहीं सुनी जा रही है।