नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश की जगन मोहन रेड्डी सरकार ने राज्य के सभी निजी अस्पतालों को अब सरकार के नियंत्रण में रखने का फैसला किया है। राज्य में कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं। अभी तक राज्य में कोरोना के 44 मामले आ चुके हैं। उधऱ पड़ोसी राज्य तेलंगाना की सचिवालय में एक अफसर पर कोरोना के संक्रमण को फैलाने का आरोप लगा है। ये अफसर दिल्ली में तबलीगी मकरज के कार्यक्रम में शामिल था।

बहरहाल आंध्र प्रदेश सरकार ने साफ कर दिया है कि अगर कोई राज्य में निजी अस्पतालों को सरकार नियंत्रण में रखने विरोध करेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। राज्य में अभी तक 44 कोरोना पॉजिटिव के मामले पाए गए हैं। वहीं एक मरीज को अस्पताल से घर भेज दिया गया है। वहीं राज्य में हालत को देखते हुए राज्य सरकार ने निजी अस्पतालों को अपने नियंत्रण में रखने का फैसला किया है और इस फैसले के तहत निजी अस्पतालों के डॉक्टरों को सरकारी नियमों के अनुसार सुविधा मुहैया करानी होगी।

वहीं सरकार निजी संस्थानों को बेड, वेंटिलेटर, आईसीयू की सुविधा मुहैया कराएगी। राज्य सरकार का कहना है कि अगर राज्य सरकार के इस फैसले  का विरोध करता तो उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत कार्रवाई की जाएगी। राज्य में महज मंगलवार को ही 21 नए मामले सामने आए। इसमें से 18 व्यक्ति वो हैं, जो दिल्लीं में तबलीगी मकरज के कार्यक्रम में हिस्सा लेने गए थे। उधर तेलंगाना में भी तबलीगी मकरज में हिस्सा लेने वालों के कारण कोरोना का खौफ बढ़ गया है।

जानकारी के मुताबिक सचिवालय का का अफसर दिल्ली में मरकज के कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली गया था और उसने इसकी जानकारी सरकार से छिपाई थी।  जिसके बाद राज्य सचिवालय  में अफरातफरी का माहौल है। कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव से अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की। वहीं राज्य के सीएम राव ने कहा कि सचिवालाय में उन अधिकारियों और कर्मचारियों की जांच की जाएगी जो उस अफसर के संपर्क में आए थे।

जानकारी के मुताबिक अफसर निजामुद्दीन मरकज शामिल हुआ था और उसके बाद राज्य में लौट आया था।  इसकी जानकारी उसने सरकार से छिपाई थी और जब उसका नाम सामने आया तो राज्य सरकार के हाथपैर फूल गए। क्योंकि ये अफसर लगातार सरकार बैठकों में हिस्सा ले रहा था। हालांकि राज्य सरकार ने राज्य सचिवालय को खाली करा दिया गया और स्प्रे कर सचिवालय का साफ गया है।