कांग्रेस को 'मुस्लिमों की पार्टी' बताने के विपक्ष के आरोपों का जवाब देने के लिए राहुल गांधी ने  मंगलवार को टि्वटर का सहारा लिया। उन्होंने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट पर कहा कि कांग्रेस किसी धर्म और जाति में विश्वास नहीं करती। वह हाशिये पर जा चुके और सताए हुए लोगों के साथ खड़ी है। इससे पहले, उनसे मिलने वाले मुस्लिम विद्वानों ने राहुल के ऐसा कोई बयान देने से इनकार किया था।

राहुल के आधिकारिक ट्विवटर हैंडिल से किए गए ट्वीट में लिखा है,  'मैं लाइन में सबसे पीछे खड़े शख्स के साथ हूं...। शोषित, हाशिये पर पहुंच और सताए हुए लोगों के साथ हूं। मेरे लिए उनका धर्म, जाति और आस्था मायने नहीं रखती। जो लोग भी पीड़ा में हैं, मैं उन्हें गले लगाना चाहता हूं। मैं नफरत और भय को खत्म करना चाहता हूं। मुझे हर जीव से प्यार है। मैं ही कांग्रेस हूं।'  उनके इस जवाब के बाद यह विवाद जल्द खत्म होता नजर नहीं आ रहा है। 

दरअसल, उर्दू अखबार 'इंकलाब' की एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि राहुल ने मुस्लिम विद्वानों से हुई मुलाकात के दौरान कांग्रेस को मुसलमानों की पार्टी बताया। भाजपा ने इसी खबर को आधार बनाकर राहुल पर निशाना साधा। पार्टी की ओर केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि राहुल 'जनेऊधारी से यू-टर्न लेकर मुस्लिमधारी' पर आ गए हैं। हालांकि कांग्रेस ने भाजपा के आरोपों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उनके बयान को लेकर अफवाहें फैलाई जा रही हैं। हालांकि 'इंकलाब' अखबार के संपादक शकील शम्सी अपनी रिपोर्ट पर कायम हैं। राहुल के बयान को रिपोर्ट करने वाले पत्रकार मुमताज आलम रिजवी का बचाव करते हुए संपादक ने बताया, 'राहुल ने कहा था कि कांग्रेस मुसलमानों की पार्टी है, क्योंकि मुस्लिम कमजोर हैं और वे देश में दलितों का एक और रूप बन गए हैं।' 

वहीं यूपी के आजमगढ़ में हुई एक रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राहुल पर इस बयान के लिए तंज कसा। उन्होंने कहा, राहुल के कांग्रेस को मुस्लिमों की पार्टी बताने से पहले पूर्व पीएम मनमोहन सिंह भी यह कह चुके हैं कि देश के प्राकृतिक संसाधनों पर अल्पसंख्यकों का हक है। ऐसे में हमारा सवाल है कि क्या कांग्रेस सिर्फ मुस्लिम पुरुषों की पार्टी है? क्या वह महिलाओं के साथ नहीं है? वह तीन तलाक के मुद्दे पर महिलाओं के साथ क्यों खड़ी नहीं है।