भोपाल। मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार अल्पमत की तरफ बढ़ रही है। राज्य में ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक 17 विधायक और मंत्री गायब हैं और कहा जा रहा है कि वह कर्नाटक में हैं और जल्द ही दिल्ली पहुंच सकते हैं। वहीं राज्य में चर्चा है कि अगर राज्य में भाजपा की सरकार बनीं तो शिवराज सिंह चौहान ही मुख्यमंत्री बनेंगे। जबकि सिंधिया को राज्यसभा में भेजने के साथ ही दिल्ली में कैबिनेट में अहम मंत्रालय दिया जाएगा।

मीडिया  रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि राज्य के सियासी हालत को देखते हुए मंगलवार शाम भाजपा  विधायक दल की बैठक हो सकती है और इसमें शिवराज सिंह चौहान विधायक दल का नया नेता चुना जा सकता है। इससे पहले कांग्रेस के बागी विधायक सरकार से समर्थन वापस लेने का ऐलान करेंगे। जिसके बाद राज्य में भाजपा की सरकार का रास्ता साफ होगा। माना जा रहा है कि कांग्रेस के विधायकों द्वारा समर्थन लेने के बाद कमलनाथ सरकार अल्पमत आ जाएगी और इसके बाद उन्हें सदन में बहुमत साबित करना होगा।

अगर कमलनाथ सरकार से सिंधिया गुट के विधायक समर्थन लेते हैं तो कांग्रेस के पास महज 99 विधायक ही रह जाएंगे। जबकि भाजपा के पास विधायक की संख्या 107 है। वहीं चार निर्दलीय विधायक और बसपा और सपा के दो और एक विधायक भी भाजपा सरकार को समर्थन दे सकते हैं। वहीं ये कहा जा रहा है कि अगर राज्य में भाजपा की सरकार बनती है तो शिवराज सिंह ही राज्य में मुख्यमंत्री की कमान संभालेंगे। माना जा रहा है कि कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की मुलाकात भाजपा के शीर्ष स्तर के नेताओं से हो चुकी है और इस मुलाकात के बाद ये तय हो गया है कि सिंधिया को भाजपा राज्यसभा में भेजेगी और उन्हें केन्द्रीय कैबिनेट में अहम मंत्रालय दिया जाएगा।  

जबकि राज्य सरकार में उनके करीबियों को मलाईदार विभाग दिए जाएंगे। वहीं चर्चा इस बात की भी है कि सिंधिया गुट के विधायक सुरक्षित कर्नाटक पहुंच गए हैं और अगर सबकुछ ठीक रहा तो वह जल्द ही दिल्ली पहुंच सकते हैं। बताया जा रहा है कि कर्नाटक पहुंचने वाले विधायकों में प्रद्युम्न सिंह तोमर, तुलसी सिलावट, गोविंद राजपूत, प्रभुराम चौधरी, इमारती देवी,राजवर्धन सिंह, ओपीएस भदौरिया, गिरिराज दंडोतिया, बिजेंद्र यादव, जसपाल जज्जी, रणवीर जाटव, कमलेश जाटव, जसवंत जाटव, रक्षा सिरोनिया, मुन्ना लाल गोयल, सुरेश धाकड़, रघुराज कसाना, हरदीप सिंह डंग और महेंद्र सिसोदिया शामिल हैं। इन सभी को सिंधिया का करीबी माना जाता है। 

16 मार्च है कांग्रेस और भाजपा के लिए अहम

माना जा रहा है कि राज्य में 16 मार्च से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र के पहले दिन ही भाजपा राज्य में कमलनाथ सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आएगी। क्योंकि विधायकों की संख्या को देखते हुए भाजपा सदन में आसानी से बहुमत साबित कर सकती है। हालांकि बहुत कुछ विधानसभा अध्यक्ष पर निर्भर करेगा।