आईआईटी मद्रास के छात्रावास में रहने वाली शोधार्थी छात्राओं और छात्रावास में रहने वाले अन्य लोगों ने वहां के अधिकारियों पर कमरे की तलाशी के दौरान उन लोगों के साथ उत्पीड़न करने और उनकी गोपनीयता का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। लेकिन इस आरोप को डीन ने खारिज कर दिया।
छात्रावास में रहने वाले छात्र और छात्राओं दोनों ने ही आरोप लगाया है कि अधिकारी कमरे में बिना इजाजत के घुस जाते हैं। उन्हें अपमानित करते हैं और बिना इजाजत उनकी फोटो भी क्लिक करते हैं। उनका यह व्यवहार छात्रों की गोपनीयता और गरिमा के अधिकार का उल्लंघन करता है।
छात्रों के डीन एम एस शिवकुमार ने अपने बयान में कहा कि उन्हें छात्रों से शिकायतें मिली है। उन्होंने शिकायतों को लेकर अधिकारियों से बात की है और उन्हें मुद्दों से अवगत कराया है। उन्होंने अधिकारियों से तस्वीरें क्लिक न करने के लिए भी कहा है। उन्होंने कहा कि आरोप पूरे मामले को साबित करने के लिए काफी नहीं है। हमें इस तरह के मुद्दों से निपटने के लिए प्रशिक्षित जांच अधिकारियों की आवश्यकता होती है।
उन्होंने अधिकारियों को छात्रावास के नियमों का पालन करने और नियमों का उल्लंघन न करने के लिए कहा है। उन्होंने पीटीआई से बात करते हुए कहा कि हम नहीं जानते कि हम इसे उत्पीड़न बोले या प्रवर्तन। एक महिला शोधकर्ता ने आरोप लगाया कि बिना बताए अधिकारी कमरे में घुसपैठ करते हैं। चीजों को उधर इधर फेंकते हैं।
महिला ने कहा कि हम सभी लोग समझदार हैं। यह चीजें वाकई नैतिकता को खत्म करने जैसी हैं। हमारे पास और भी लोगों का स्टाफ है और हम नहीं चाहते कि इस तरह की चीजें और फैलें। यह हमारे अधिकार का, हमारी गोपनीयता और गरिमा का स्पष्ट रूप से उल्लंघन करता है।
सर्वेक्षण में छात्रों को उनके पहने हुए कपड़े और दूसरों के बीच सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए भी बोला गया था।
एक स्नातकोत्तर छात्र जो उन 20 हॉस्टलों में से एक में रहता था। उसने आरोप लगाया था कि नियमों का उल्लंघन करने के लिए लगाई गई जुर्माने की राशि मनमानी थी। उसने जुर्माने के तौर पर 2,000 रुपये से 20,000 रुपये तक की रकम का भुगतान किया था। उन्होंने बताया कि छात्रों को स्लैब के बारे में भी कोई जानकारी नहीं है और स्लैब को परिसर में सार्वजनिक रूप से कहीं नहीं बताया गया ना नोटिस बोर्ड पर इसकी जानकारी दी गई है।
पीएचडी कर रही एक महिला ने आरोप लगाया कि अधिकारियों की टीमों के द्वारा छात्रावास में लड़कों के हास्टल के पास लडकियों के आने जाने पर भी जांच की जाती थी। वह भी उस समय जब वे लोग अनुमति के दौरान वहां जाती थी।
छात्रावास के नियमों के मुताबिक लड़कियां केवल अपने अकादमिक कार्यों में सहायता के लिए अपने पुरूष साथी के कमरे में जा सकती थीं। बशर्ते उन्हें अपने आईडी कार्ड सुरक्षा कर्मचारियों के पास जमा कराने होते और आगंतुक की नोटबुक में साइन करना होता है।
अगर एक लड़के के कमरे में एक लड़की पाई जाती है, तो अधिकारी सिर्फ जांचते हैं कि वह आईआईटी-एम की छात्र है या नहीं। इसके अलावा उल्लंघनों के लिए लागू जुर्माना पर दिशानिर्देश वार्डन के पास रहते हैं।
छात्रों के प्रत्येक वर्ग के लिए विशिष्ट नियमों का सुझाव देते हुए दिन शिवकुमार ने कहा कि आईआईटी-एम की शोध कक्षाएं केवल 17 से लेकर 35 वर्ष तक के बच्चों के लिए हैं। शायद वर्तमान नियम पुराने लोगों के लिए अनुचित लगते हैं।
अंडरग्रेजुएट्स के लिए एक नियम और पीएचडी विद्वानों के लिए अलग नियम होना मुश्किल है। जब तक कि हॉस्टल अलग न हों। हम अभी शोध कर्ताओं के लिए अलग हॉस्टल बनवाने की स्थिति में नहीं है। ऐसा होते ही हम अलग नियमों को लागू करेंगे।
Last Updated Dec 3, 2018, 7:14 PM IST