इससे पहले अपने अनुमान में मौसम विभाग ने दावा किया था कि वार्षिक मानसून अपने 1 जून के सामान्य आगमन से लगभग एक हफ्ते की देरी के साथ 6 जून को देश के दक्षिणी छोर पर दस्तक देगा।
एक तरफ जब पूरा देश गर्मी और लू से परेशान है और मानसून की बारिश का बेसब्री से इंतजार कर रहा है वहीं मौसम विभाग ने ताजा अनुमान जारी करते हुए कहा है कि प्रमुख दक्षिण पश्चिम मानसून अब 8 जून को केरल के तटों पर पहली बारिश देगा।
इससे पहले अपने अनुमान में मौसम विभाग ने दावा किया था कि वार्षिक मानसून अपने 1 जून के सामान्य आगमन से लगभग एक हफ्ते की देरी के साथ 6 जून को देश के दक्षिणी छोर पर दस्तक देगा।
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दरअसल, दक्षिण-पश्चिम मानसून भारत की कृषि केन्द्रित अर्थव्यवस्था के लिए बेहद अहम है। देशभर में किसान साल की प्रमुख खरीफ फसलों की बुआई के लिए मानसून की बारिश पर आश्रित हैं। वहीं देश में उद्योग की नजर भी मानसून पर टिकी है। मानसून का समय पर आगमन और एक अच्छा मानसून उद्योंगों के लिए पूरे साल के लिए उत्पादन स्तर निर्धारित करता है।
लिहाजा, मौसम विभाग के मानसून रिपोर्ट में केरल के तटों पर पहली बारिश की तारीख आगे बढ़ाने का मतलब है कि मानसून के आगमन में देरी के साथ-साथ कमजोर होने की आशंका भी बढ़ जाती है।
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देश में करोड़ों की जनसंख्या का पीने का पानी इस मानसून की बारिश पर निर्भर हैं। देश के कई हिस्सों में वॉटर रिजरवॉयर और टैंक सूख रहे हैं। लू से प्रभावित इलाकों में चढ़ते तापमान के कारण लोगों को पीने के पानी की कमी परेशान कर रही है। वहीं समय पर ये रिजरवॉयर भरे नहीं गए तो गंभीर संकट भी पैदा दो सकता है।
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इसके अलावा के कृषि क्षेत्र में खेती के लिए लगभग आधे खेत मानसून की बारिश पर निर्भर हैं। औसम से कम बारिश की स्थिति में किसानों को अच्छी फसल की उम्मीद नहीं रह जाती और उनकी वार्षिक आमदनी में भी गिरावट दर्ज होती है।
Last Updated Jun 5, 2019, 10:00 PM IST