नई दिल्ली। आर्थिक तौर पर कंगाल हो चुके पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अब फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स यानी एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट से बचने के लिए अमेरिका से गुहार लगाएंगे। फिलहाल पाकिस्तान को ऊपर ब्लैक लिस्ट में शामिल होने का खतरा मंडराया हुआ है। जिससे उसे सिर्फ अमेरिका या फिर यूरोपियन देश ही निकाल सकते हैं। वहीं अमेरिका, जापान और ईयू के पास आईएमएफ में 51 प्रतिशत वोटिंग राइट हैं। जिसके कारण उसे अगर इन देशों का समर्थन मिलता है तो उसे कर्ज मिलने में आसानी होगी।

असल में एफएटीएफ के ब्लैक लिस्ट में आने के बाद पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाएं कर्ज देना बंद कर देंगी। जिसके बाद पाकिस्तान एक तरह के आर्थिक तौर पर दिवालिया हो जाएगा। यही नहीं अगर पाकिस्तान को कोई देश कर्ज भी देता है तो वह अपनी शर्तों पर उसे कर्ज देगा। लिहाजा अब इमरान को एक बार फिर अमेरिका की याद आ रही है।

पिछले दिनों इमरान खान ने अमेरिका को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा था कि अमेरिका ने पाकिस्तान में आतंकियों को ट्रेनिंग दी थी। जिसके बाद अफगानिस्तान में आंतक बढ़ा था। इसके जरिए इमरान खान अमेरिका पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे थे।

लेकिन अब पाकिस्तान को महज अमेरिका से ही आस है। अभी तक पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में और एफएटीएफ भी पाकिस्तान को लेकर नाराज है। क्योंकि उसने पाकिस्तान से आतंकी सगंठनों पर लगाम लगाने और ट्रेनिंग कैंपों को बंद करने को कहा था लेकिन अभी तक पाकिस्तान अपना किया हुआ वादा पूरा नहीं सका है।

जिसके बाद एफएटीएफ के एशिया मामलों की ब्रांच एशिया पैसिफिक ग्रुप यानी एपीजी ने पिछले दिनों पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट किया था। लिहाजा अब पाकिस्तान ट्रंप प्रशासन से इन शर्तों में ढील दिलवाने के लिए मदद मांग सकता है। फिलहाल इमरान खान न्यूयॉर्क में होने वाले संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मदद मांग सकते हैं।

उधर आईएमएफ भी पाकिस्तान की पहली तिमाही की समीक्षा शुरू करने जा रहा है और इसके बाद से ही उसे 6 अरब डॉलर का कर्ज दिया जाएगा। वहीं आईएमएफ ने साफ कहा कि अगर पाकिस्तान ब्लैक लिस्ट होता है तो इसका असर उसे मिलने वाले कर्ज पर पड़ेगा।