नई दिल्ली। भारत-पाकिस्तान संबंधों में बढ़ते तनाव, अंतरराष्ट्रीय सीमा और एलओसी यानी नियंत्रण रेखा पर दोनों सेनाओं के बीच चल रही तनातनी के बीच केंद्रीय गृहमंत्रालय ने अर्धसैनिक बलों से सीमा पर बाड़ लगाने का काम तेजी से पूरा करने को कहा है। अब भारत-पाकिस्तान सीमा के साथ-साथ एकीकृत प्रणाली के तहत तकनीक युक्त बाड़ लगाने का काम भारत-बांग्लादेश सीमा पर भी शुरू करने की तैयारी है।  

नरेंद्र मोदी सरकार एक नई प्रणाली शुरू करने जा रही है। यह सुरक्षा बलों को घुसपैठ रोकने में मदद करेगी। यह बाड़ आधुनिक इंटरसेप्शन तकनीक से लैस है। सूत्रों के अनुसार, सरकार सीआईबीएमएस (कंप्रहेंसिव इंटीग्रेटेड बॉर्डर मैनेजमेंट सिस्टम) को पूरा करने की तारीख और पहले कर सकती है। इस बीच, केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह मंगलावार को असम के धुबड़ी जिले में भारत-बांग्लादेश सीमा पर सीआईबीएमएस के तहत बोल्ड-क्यूआईटी (बॉर्डर इलेक्ट्रॉनिकली डोमिनेटेड क्यूआरटी इंटरसेप्शन तकनीक) प्रोजेक्ट का उद्घाटन करने वाले हैं। 

इस प्रणाली की मदद से ब्रह्मपुत्र के पूरे फैलाव को कवर किया जा सकेगा। इसमें माइक्रोवेव कम्युनिकेशन, ऑप्टिकल फाइबर केबल, डिजिटल मॉड्यूलर रेडिया (डीएमआर) कम्युनिकेशन, दिन-रात काम करने वाले सर्विलांच कैमरों और घुसपैठ का पता लगाने वाली प्रणाली शामिल है। 

गृहमंत्रालय के अनुसार, 'सीआईबीएमएस के तहत बोल्ड-क्यूआरटी तकनीकी प्रणाली लगाने का प्रोजेक्ट है। इसकी मदद से बीएफएफ को भारत-बांग्लादेश की सीमा की पुख्ता निगरानी करने में मदद मिलेगी। इसमें ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों के तहत आने वाला ऐसा क्षेत्र भी शामिल है, जहां बाड़ लगाना संभव नहीं है। नई तकनीक के तहत ऐसी जगहों पर सेंसर का इस्तेमाल किया जा सकेगा।'

इन आधुनिक गैजेट्स की मदद से बीएसएफ के कंट्रोल रूम को सीमा पर हर हरकत की जानकारी मिल सकेगी। इससे बल की क्विक रिएक्शन टीम को अवैध घुसपैठ समेत किसी भी अप्रिय घटना पर तुरंत प्रतिक्रिया देने में मदद मिलेगी।

मंत्रालय के अनुसार, बांग्लादेश से सटी 4,096 किलोमीटर लंबी सीमा की सुरक्षा का जिम्मा बीएसएफ पर है। कई जगह भौगोलिक दिक्कतों के चलते सीमा पर बाड़ लगाने का काम करना असंभव है। केंद्रीय गृहमंत्रालय के अनुसार, 'असम के धुबड़ी में 61 किलोमीटर का बॉर्डर है। यहां ब्रह्मपुत्र नदी बांग्लादेश में प्रवेश करती है। यहां खासतौर पर मानसून अथवा बारिश के समय सीमा की सुरक्षा करना काफी चुनौतीपूर्ण काम है।'

सूत्रों के अनुसार, इस समस्या से निजात पाने के लिए साल 2017 में गृहमंत्रालय ने सीमा पर बीएसएफ की मौजूदगी की जगह तकनीकी समाधान अपनाने का फैसला किया था। जनवरी, 2018 में बीएसएफ की इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी इकाई ने प्रोजेक्ट बोल्ट-क्यूआरटी शुरू किया था। विभिन्न उत्पादकों और आपूर्तिकर्ताओं से मिली तकनीकी मदद से बल ने इस काम को रिकॉर्ड समय में पूरा कर दिया था। इससे पहले, पिछले साल सितंबर में केंद्रीय गृहमंत्री ने भारत-पाकिस्तान सीमा पर पांच-पांच किलोमीटर की दूरी के दो स्मार्ट फेंसिंग पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी।