भारत के चीन के आपसी रिश्ते करवट बदल रहे हैं। जब भारत ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 को रद्द करने का फैसला किया था। तब से रिश्तों में थोड़ा तनाव देखा जा रहा है। पिछले हफ्ते भारतीय और चीनी सेना लद्दाख में आमने सामने थी। ऐसा पिछले एक साल में पहली बार हुआ है। भारतीय सेना पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी किनारे पर गश्त कर रही थी, जब चीनी सैनिकों ने उनकी उपस्थिति पर आपत्ति जताई। पैंगोंग झील के आसपास कई क्षेत्र विवादित हैं।

हालांकि दोनों पक्ष इस तनाव के बाद अपने ठिकानों पर लौट आए थे। लेकिन जुलाई 2018 के बाद पहली बार हुआ जब दोनों देश आमने सामने थे। असल में इस मामले में परेशान करने वाली बात ये है कि यह गतिरोध 20 से 12 अक्टूबर तक राष्ट्रपति शी जिनपिंग की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा ,से एक महीने पहले हुआ था। वास्तव में, पिछले साल जब उन्होंने अप्रैल में चीन का दौरा किया था, तब भारतीय क्षेत्र में 28 चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की है।

हालांकि कूटनीति की नजर से ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि सीमा क्षेत्र कम या ज्यादा घटना इस तरह की घटनाओं से मुक्त होती हैं। लेकिन जब से भारत ने कश्मीर से धारा 370 हटाने की घोषणा की है और ये ऐलान किया है कि अब लद्दाख एक केंद्र शासित प्रदेश होगा, तब से भारत चीन संबंधों में थोड़ा तनाव देखा जा रहा है। चीन कश्मीर पर पाकिस्तान के रुख का खुलकर समर्थन किया है। जबकि इस मामले में "संबंधित पक्षों को संयम बरतना चाहिए और सावधानी के साथ काम करना चाहिए।

हालांकि, भारत ने हमेशा से ये ही कहा है कि कश्मीर आंतरिक मामला है और सरकार ने चीन को यह भी याद दिलाया है कि उन्हें पहले अपने मुद्दों से निपटना चाहिए। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि चीन को लद्दाख के भारत का एक केंद्र शासित प्रदेश होने पर आपत्ति है क्योंकि वह क्षेत्र चीन का है। चीन ने भारत से आग्रह किया कि "सीमा मुद्दे पर अपने शब्दों और कार्यों में सतर्क रहें, दोनों पक्षों के बीच पहुंचे संबंधित समझौतों का सख्ती से पालन करें और किसी भी कदम से बचें जो सीमा मुद्दे को और जटिल बनाता हो।

भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा का 3488 किलोमीटर लंबी है।  जिसमें भारत और चीन के बीच 1962 युद्ध हुआ और युद्ध जैसी कई घटनाएं देखी गई हैं। यही नहीं चीन और भारत ने तब से 2017 तक और इसके बाद डोकलाम मुद्दे के बाद अपने संबंधों को सुधारने की कोशिश की है।