नेशनल डेस्क। स्पेस में रहस्यों की खोज करने के लिए अमेरिका, रूस, चीन जैसे देशों में होड़ मची हुई है। भारत का ड्रीम मिशन चंद्रयान-3 भी चांद की दहलीज पर खड़ा है, इंतजार है तो बस लैंडिंग का, यदि चंद्रमा के साउथ पोल पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग होती है तो वह ऐसा करने वाला पहला देश बन जाएगा। चांद में ऐसे कई रहस्य छिपे हुए हैं जिनका पता लगाने की कोशिश जा रही है। आज हम उन कारणों के बारे में बताने जा रहे हैं तो अन्य उपग्रहों के मुकाबले चंद्रमा को अलग बनाते हैं। 

चंद्रमा के अनजाने रहस्य

1) चांद के तापमान में जीवन संभव नहीं
चांद पर दिन का तापमान 123 डिग्री से ज्यादा और रात का -200 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे चला जाता है। इसलिए यहां पर जीवन संभव नहीं है। 

2) चांद का हमेशा एक ही हिस्सा दिखता है
धरती से चांद का हमेशा एक ही हिस्सा (Side) दिखता है। 1959 में पहली बार जब रूस का स्पेसक्रॉफ्ट चांद के दूसरी ओर गया, तब इंसान उसका दूसरा हिस्सा देख पाए।

3) धरती पर चांद की वजह से हाई-टाइड

समुद्र में ज्वार-भाटा (टाइड) चांद के गुरुत्वाकर्षण की वजह से आता है। धरती का वो सिरा जो चांद के सबसे करीब होता है,वहां हाई टाइड (ज्वार) आता है।

4) चांद से धरती के सबसे दूर वाले हिस्से में भाटा

 धरती का जो हिस्सा चांद के सबसे दूर होता है, वहां लो टाइड यानी कि छोटी लहरें (भाटा) उठती हैं।

5) चांद पर स्थित है गहरी घाटियां-पहाड़

चांद पर गहरी घाटिया, पहाड़ स्थित है। टेलीस्कोप से चांद की जमीन पर गड्डे नजर आते हैं। 

6) चांद के गड्ढों पर समा सकता है माउंट 

चांद में बड़े-बड़े और गहरे गड्ढे हैं। इनमें से कुछ तो इतने बड़े हैं कि उनमें 8848 मीटर ऊंचा पूरा का पूरा माउंट एवरेस्ट भी समा सकता है।

7) चांद पर पहुंचते ही कम हो जाएगा वेट 

चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण काफी कम है। यही वजह है कि धरती की तुलना में वहां भार 1/6 है। यानी धरती पर चांद की तुलना में बेहद कम वजन होगा।

8) चांद पर कितनी देर में पहुंचता है प्रकाश 

धरती से चंद्रमा की दूरी 3,84,000 KM है। वहीं चंद्रमा से धरती तक प्रकाश आने में करीब 1.3 सेकेंड का समय लगता है।  

9) कब हुई चांद की उत्पत्ति ?

चंद्रमा पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है। इसकी उत्पत्ति धरती के साथ ही करीब 4.5 अरब वर्ष पहले मानी जाती है।

10) आज भी हैं चांद पर पहला कदम रखने वाले के निशान
नील आर्मस्ट्रांग ने चांद पर जब पहला कदम रखा, तो उनके पैर से जो निशान बने वो आज भी हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि चांद पर वायुमंडल (हवा) नहीं है।

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