चंडीगढ़। कृषि अध्यादेश को लेकर देशभर में किसानों का विरोध जारी है। किसानों के विरोध के साथ ही सियासी दलों केन्द्र सरकार पर निशाना लगाना शुरू कर दिया है। किसानों के मुद्दे पर भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी शिरोमणि अकाली दल की एकमात्र केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है। जिसके बाद हरियाणा सरकार खतरे में पड़ गई है। क्योंकि हरियाणा में भाजपा की सरकार जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के समर्थन से चल रही है। वहीं जेजेपी पर किसानों का दबाव है।  लिहाजा माना जा रहा है कि जेजेपी प्रमुख उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला पर दबाव बन गया है।

कृषि संबंधी विधेयक को लेकर हरियाणा और पंजाब के किसानों के द्वारा ज्यादा विरोध किंया जा रहा है। किसानों का मानना  है कि केन्द्र सरकार के अध्यादेश से मंडियों का अस्तित्व खत्म हो जाएगा और इससे किसानों को सीधे तौर पर नुकसान होगा। वहीं विधेयक को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए में अकाली दल के मंत्री ने इस्तीफा दे दिया है। वहीं कृषि विधेयक के खिलाफ हरियाणा और पंजाब के किसान आंदोलन कर रहे हैं और सियासी दल किसानों के जरिए अपने हितों को साधने में रगे हैं।

वहीं बताया जा रहा है कि हरियाणा में भाजपा सरकार को समर्थन दे रही जेजेपी भी दबाव में है। क्योंकि हरियाणा में किसानों के द्वारा जोरदार विरोध किया जा रहा है।  लिहाजा हरियाणा में भाजपा की सहयोगी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) पर भाजपा सरकार से समर्थन वापस लेने का दबाव बना है। राज्य में जेजेपी तीसरे नंबर की सबसे बड़ी पार्टी है।  वहीं कांग्रेस इस मुद्दे को चूकना नहीं चाहती है। कांग्रेस पंजाब में इसके लिए दांव खेल चुकी है जबकि हरियाणा में वह जेजेपी पर दबाव बना रही है। असल में राज्य के जेजेपी विधायक रामकुमार गौतम पहले से ही पार्टी अध्यक्ष और डिप्टी सीएम के खिलाफ बयानबाजी कर रहे थे

वहीं अब टोहाना के विधायक देवेंद्र सिंह बबली ने किसानों के मुद्दे पर फैसला लेने को कहा है। बताया जा रहा है कि कुरुक्षेत्र जिले में पुलिस ने लाठीचार्ज किया और इसमें कई किसान गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इसके बाद से ही किसान नाराज चल रहे हैं। वहीं हरसिमरत कौर के इस्तीफा देने के बाद दुष्यंत चौटाला पर दबाव बढ़ गया है। हालांकि चर्चा ये भी है कि जेजेपी प्रमुख और डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला कृषि संबंधी विधेयक के समर्थन में हैं लेकिन  वह इसमें एमएसपी का जिक्र चाहते हैं। ताकि किसानों को ये समझाने में आसानी हो कि विधेयक उनके खिलाफ नहीं है।