नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी हिंदू महासभा के नेता वीर सावरकर का लगातार विरोध करती आई है। लेकिन जब से भाजपा ने सावरकर को भारत रत्न देने की बात कही है। कांग्रेस में भी सावरकर को लेकर बंटवारा होने लगा है। कांग्रेस के नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री अभिषेक मनु सिंघवी ने सावरकर की तारीफ कर कांग्रेस को बैकफुट पर ला दिया है। जिसके का बाद माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में कांग्रेस के और कई नेता सिंघवी के पक्ष में खड़ा हो सकते हैं।

असल में महाराष्ट्र में भाजपा के चुनावी घोषणापत्र में वीर सावरकर को भारत रत्न देने की मांग की है। हालांकि कांग्रेस सावरकर का विरोध करती आई है। यहां तक कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार ने सरकारी पाठ्यक्रम को बदल कर सावरकर के आगे से वीर हटाकर अंग्रेजों से माफी मांगने वाले नेता के तौर पर पेश किया है। जाहिर इस इस तरह के बड़े फैसलों में राज्य सरकार को आलाकमान की मंजूरी जरूर मिली होगी। लेकिन अभिषेक मनु सिंघवी ने सावरकर की तारीफ कर कांग्रेस में ही बड़ी बहस छेड़ दी है।

ये कुछ उसी तरह से है जैसा 5 अगस्त के बाद हुआ। जब केन्द्र सरकार ने अगस्त में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाया था तो उस वक्त की भी कांग्रेस दो हिस्सों में बंट गई थी। कांग्रेस के ज्यादातर युवा  नेताओं ने केन्द्र सरकार का समर्थन किया था। जबकि कांग्रेस ने  लोकसभा और राज्यसभा में इसका विरोध किया। नेताओं के पार्टी के खिलाफ जाने के बाद पार्टी असहज की स्थित में आ गई थी। क्योंकि पार्टी ये मानकर चल रही थी कि नेता उसके साथ देंगे। इसमें गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाले लोगों ने भी सरकार का समर्थन दिया था।

अब सिंघवी ने ट्वीट कर कहा, मैं व्यक्तिगत तौर पर सावरकर की विचारधारा से सहमत नहीं हूं लेकिन इस तय को नकारा नहीं जा सकता कि वह निपुण व्यक्ति थे, जिन्होंने आजादी की लड़ाई में भूमिका निभाई, दलित अधिकारों की लड़ाई लड़ी और देश के लिए जेल गए। जबकि कांग्रेस हमेशा से ही सावरकर को अंग्रेजों से माफी मांगने वाले नेता के तौर पर पेश करती आई है। जिसको लेकर काफी विवाद है। वहीं पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि इंदिरा गांधी भी सावरकर का सम्मान करती थी और उन्होंने सावरकर की याद में डाक टिकट जारी किया था।