नई दिल्ली। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री के पद के लिए अड़ी शिवसेना खौफ में है। क्योंकि उसे लग रहा है कि भाजपा राज्य में कर्नाटक की तर्ज पर ऑपरेशन लोटस चला सकती है। लिहाजा दो दिन तक अपने विधायकों को मुंबई के रंगशारदा होटल में रखने के के बाद वह सबसे पहले अपने विधायकों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रही है। माना जा रहा है कि शिवसेना अपने विधायकों को जयपुर भेज सकती है। जहां पर कांग्रेस की सरकार है। हालांकि शिवसेना पूरी तरह से सीए का पद चाहती है।

राज्य में नौ नवंबर तक सरकार का गठन हो जाना है। इसी बीच आज राज्य के सीएम देवेन्द्र फणनवीस ने इस्तीफा दे दिया है। जबकि राज्य में सरकार के गठन के लिए भाजपा की तरफ से की गई कोशिशें बेकार साबित हुई हैं। असल में दोनों के बीच लड़ाई का मुख्य मुद्दा सीएम का पद है। जिस पर दोनों दल दावे कर रही हैं। शिवसेना का कहना है राज्य में 50-50 का फार्मूला लागू होना चाहिए। जिसके तहत राज्य में ढाई साल एक पार्टी सीएम का पद अपने पास रखे और दूसरे ढाई साल दूसरी पार्टी का सीएम हो।

इस शर्त पर भी शिवसेना का कहना है कि वह पहले सीएम का पद अपने पास रखेगी। जबकि भाजपा राज्य में जीत गए विधायकों और लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन के आधार पर सीएम के पद के लिए दावा कर रही है। हालांकि भाजपा ने शिवसेना को कुछ अहम विभाग देने की बात कही है। लेकिन शिवसेना सिर्फ सीएम के पद के लिए अड़ी और किसी भी शर्त पर दावेदारी को छोड़ने के के पक्ष में नहीं है। 

विधायकों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचा रही है शिवसेना

वहीं अब शिवसेना विधायकों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रही है। दो दिन तक शिवसेना के विधायक मुंबई एक होटल में रहे। असल में पार्टी की लग रहा है कि भाजपा कर्नाटक की तर्ज पर महाराष्ट्र में भी ऑपरेशन लोटस चला सकती है। जिसके तहत वह शिवसेना के विधायकों को तोड़ सकती है। क्योंकि पिछले दिन एक विधायक ने दावा किया था कि शिवसेना के 25 से ज्यादा विधायक उसके संपर्क में हैं। वहीं कांग्रेस और एनसीपी के विधायक भी सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाए जा रहे हैं। ताकि पार्टी में किसी भी तरह की टूट हो सके।

शरद पवार ने दिया झटका

शिवसेना को सबसे बड़ा झटका एनसीपी के प्रमुख शरद पवार ने झटका दिया है। असल में शिवसेना को इस बात की उम्मीद थी कि एनसीपी उसके साथ सरकार बनाने में आएगी और कांग्रेस उसे बाहर से समर्थन दे देगी। जिसके बाद उसकी राज्य में आसानी से सरकार बन जाएगी। लेकिन एनसीपी प्रमुख ने साफ कर दिया है कि जनता ने विपक्षी दलों को विपक्ष में ही बैठने का जनादेश दिया है। लिहाजा वह सरकार नहीं बनाएंगे। जिसके बाद शिवसेना की दावेदारी खत्म हो गई थी।