नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में इस बार के चुनाव में बीजेपी और ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर है। दोनों ही पार्टियां एक दूसरे को मात देने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपना रही हैं। 

इसी सिलसिले में शनिवार को पश्चिम बंगाल में एक वीडियो जारी हुआ। जिसे कथित रुप से इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णा कांशियसनेस यानी इस्कॉन द्वारा जारी किया हुआ बताया गया।  शनिवार यानी 30 मार्च को जारी किए गए लगभग ढाई मिनट के इस वीडियो में इस्कॉन सदस्यों से अपील की गई थी कि वह ममता बनर्जी के पक्ष में मतदान करें।  
क्योंकि ममता बनर्जी ने कथित रुप से  'महा मंदिर' के निर्माण की सुविधा के लिए भूमि की सीलिंग यानी तय सीमा में भूमि खरीद का प्रावधान हटा दिया था। जिसकी वजह से नदिया जिले में दुनिया का सबसे बड़ा इस्कॉन मंदिर और 750 एकड़ में इसके इर्द गिर्द बसने वाले टाउनशिप तैयार किए जाने की योजना पर कार्य शुरु हो पाया। 

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लेकिन बाद में पता चला कि यह ममता बनर्जी का राजनीतिक हथकंडा था। इस्कॉन ने इस तरह का कोई वीडियो जारी नहीं किया है। क्योंकि इस्कॉन के राष्ट्रीय निदेशक युधिष्ठिर गोविंद दास ने 30 मार्च को एक प्रेस रिलीज जारी करके इस वीडियो को फर्जी बताया। 

इस्कॉन के अधिकारी का कहना था कि उनकी संस्था गैरराजनीतिक कार्यों के लिए जानी जाती है। वह किसी राजनीतिक दल का समर्थन या विरोध नहीं कर सकते हैं। इससे पहले भी कई चुनाव हुए हैं, लेकिन कभी ऐसा वीडियो ना हमने जारी किया है ना करेंगे। 

उधर इस मामले को लेकर बीजेपी ने ममता बनर्जी और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है। पश्चिम बंगाल भारतीय जनता पार्टी के महासचिव रितेश तिवारी ने माय नेशन से बातचीत में कहा कि ‘तृणमूल कांग्रेस मतदाताओं को भ्रमित करके वोट लेने के लिए कुछ भी कर सकती है। ताजा घटनाक्रम उसी का एक उदाहरण मात्र है’। 

लेकिन तृणमूल कांग्रेस के नेता अब भी अपनी बात पर अड़े हुए हैं। माय नेशन से बातचीत में तृणमूल कांग्रेस के सांसद इदरीस अली ने कहा कि इस्कॉन ने अवश्य इस बारे में कुछ कहा होगा। अन्यथा इस तरह का वीडियो सामने नहीं आता।