नई दिल्ली: इसरो ने सोमवार को चंद्रयान 2 का प्रक्षेपण करके इतिहास में नाम दर्ज करा लिया है। बाहुबली रॉकेट (GSLV MK-3) चंद्रयान को लेकर दोपहर में ठीक 2.43  मिनट पर चंद्रमा की तरफ रवाना हो गया। इसे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारना है। जो उसका सबसे ठंडा और अंधेरा हिस्सा है। यहां पर पानी और जीवन के संकेत(जीवाश्म) मिलने की उम्मीदें ज्यादा हैं। 

इसरो की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि अभी रॉकेट की गति बिल्कुल सामान्य है। सब कुछ तय योजना के मुताबिक ही चल रहा है। दोनों एस- 200 रॉकेट्स चंद्रयान-2 से अलग हो चुके हैं।

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चंद्रयान 2 को चंद्रमा तक पहुंचने में 48 दिन का समय लगेगा। यह 7 सितंबर को चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। इसरो के प्रमुख के सिवन ने बताया कि चंद्रयान-2 की लैंडिंग के अखिरी 15 मिनट सबसे ज्यादा अहमियत रखते हैं। जब लैंडर चंद्रमा पर उतर रहा होगा। हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि इसरो का यह मिशन पूरी तरह से कामयाब सबित होगा और चंद्रमा पर नई चीजों की खोज करने में सफल रहेगा। 

चंद्रयान 2 के मून पर उतरने के आखिरी 15 मिनट भारतीय वैज्ञानिकों के लिए किसी परीक्षा से कम नहीं होंगे। इस अभियान की महत्ता को इससे भी समझा जा सकता है कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भी अपना एक पेलोड इसके साथ लगाया है। जो कि डेटा कलेक्शन का काम करेगा। 

चंद्रयान 2 अभियान की कुल लागत 603 करोड़ रुपए है। इसमें से सिर्फ रॉकेट की कीमत 375 करोड़ रुपए है। चंद्रयान को लांच करने के लिए इसरो ने अपने सबसे शक्तिशाली रॉकेट जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल- मार्क 3 (जीएसएलवी-एमके 3) का इस्तेमाल किया है। इसका वजन अकेले 640 टन है। 

चंद्रयान 2 का अपना वजन 3.8 टन है। यह 7 सितंबर को चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। अब तक विश्व के केवल तीन देशों अमेरिका, रूस व चीन ने चांद पर अपना यान उतारा है।

 2008 में भारत ने चंद्रयान-1 भेजा था। यह एक ऑर्बिटर अभियान था। जिसने 10 महीने तक चांद का चक्कर लगाया था। चांद पर पानी का पता लगाने का श्रेय भारत के इसी अभियान को जाता है। अब उसी सफलता को आगे बढ़ाते हुए चंद्रयान-2 चांद पर पानी की मौजूदगी से जुड़े कई ठोस नतीजे देगा। अभियान से चांद की सतह का नक्शा तैयार करने में भी मदद मिलेगी, जो भविष्य में अन्य अभियानों के लिए सहायक होगा। चांद की मिट्टी में कौन-कौन से खनिज हैं और कितनी मात्रा में हैं, चंद्रयान-2 इससे जुड़े कई राज खोलेगा। 

चांद के जिस हिस्से की पड़ताल का जिम्मा चंद्रयान-2 को मिला है, वहां से हमारी सौर व्यवस्था को समझने और पृथ्वी के विकासक्रम से जुड़े राज खुल सकते हैं। 

भारत साल 2022 तक चंद्रमा पर मानवीय मिशन भेजने की तैयारी कर रहा है। पीएम नरेन्द्र मोदी ने इसकी घोषणा भी की है। इसरो की तरफ से उसके चेयरमैन ने इस चुनौती को स्वीकार भी किया है।