यह मौजूदा इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से अलग होगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो के चेयरमैन डा. के सिवन ने यह जानकारी दी है।
भारत ने अंतरिक्ष की महाशक्ति बनने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। चंद्रयान-2 और गगनयान के साथ ही इसरो ने अंतरिक्ष में कई महत्वाकांक्षी प्रोजेक्टों की योजना सामने रखी है। अंतरिक्ष में भारत का अलग स्पेस स्टेशन बनाने पर विचार हो रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो के चेयरमैन डा. के सिवन ने यह जानकारी दी है। यानी यह इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से अलग होगा।
ISRO Chief K Sivan: We are planning to have a space station for India, our own space station. pic.twitter.com/5lGcuPwCuA
— ANI (@ANI) June 13, 2019
केंद्रीय मंत्री डा. जितेंद्र सिंह के साथ एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान डा. सिवन ने कहा कि यह एक छोटा मॉड्यूल होगा। इसे मुख्यतः माइक्रोग्रैविटी एक्सपेरिमेंट्स के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। इसकी तैयारियों पर काम चल रहा है। लेकिन हम इस प्रोजेक्ट को 2022 के गगनयान मिशन के बाद विस्तार देंगे।
भारत ने इस प्रोजेक्ट के लिए 2030 तक की तारीख तय की है। 20 टन के स्पेस स्टेशन के जरिये भारत माइक्रोग्रैविटी से जुड़े प्रयोग कर पाएगा। इस स्पेस सेंटर को बनाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि भारतीय अंतरिक्ष यात्री 15-20 दिन अंतरिक्ष में गुजार सकें।
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— PIB India (@PIB_India) June 13, 2019
Union Minister @DrJitendraSingh and Chairman @isro Dr. K Sivan addresses media on #Chandrayaan2
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हालांकि इसरो ने इस प्रोजेक्ट को लेकर और कुछ ब्यौरा नहीं दिया। इसरो प्रमुख ने यह जरूर कहा कि अगले 5-7 साल में इसकी अवधारणा पर काम किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट की लागत को लेकर भी स्थिति साफ नहीं की गई है।
चंद्रयान-2 और गगनयान पर फोकस
डा. सिवन ने कहा, ‘इस समय हमारा पूरा ध्यान 15 जुलाई को लांच होने वाले चंद्रयान-2 और 2022 के गगनयान मिशन पर केंद्रित है।’ भारत के पहले मानव मिशन गगनयान की तैयारियों का ब्यौरा देते हुए डा. सिवन ने कहा, गगनयान से तीन एस्ट्रोनॉट स्पेस में जाएंगे। अगले छह महीने में उनके चयन की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। इसके बाद इन अंतरिक्षयात्रियों को अगले दो साल तक कड़े प्रशिक्षण से गुजरना होगा।
सूरज और वीनस पर भी नजरें
डा. सिवन ने कहा, 'इसरो की नजर अब सूरज और वीनस यानी शुक्र पर भी है। इसरो सूरज के लिए मिशन 'सन’ ला रहा है। इस मिशन को साल 2020 में आदित्य-एल1 के नाम से शुरू किया जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य सूरज के कोरोना का शोध करना है। यही जमीन पर होने वाले जलवायु परिवर्तन पर सबसे ज्यादा असर डालते हैं। सूरज के लिबरेशन प्वाइंट 1 पर एक सैटेलाइट भेजने की योजना है। अंतरिक्ष में भविष्य की योजनाओं पर डॉक्टर सिवन ने कहा कि भारत की नजर अंतरिक्ष की ताकत बनने पर है।
Last Updated Jun 13, 2019, 6:02 PM IST