छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में नई पार्टी का गठन कर अपनी नई राजनैतिक पारी को शुरू करने वाले जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष अजीत जोगी अपनी साख बचाने में तो कामयाब रहे, लेकिन बसपा के साथ चुनाव लड़ने के बावजूद वह भाजपा और कांग्रेस का विकल्प नहीं बन पाये। चुनाव में जोगी परिवार के तीन सदस्यों ने अपनी किस्मत आजमाई थी। जिसमें से अजित जोगी और रेणु जोगी चुनाव जीतने में कामयाब रहे। जबकि उनकी बहू ऋचा जोगी चुनाव हार गयी हैं, लेकिन उन्होंने अपने विरोधी को जबदस्त टक्टर दी।

विधानसभा चुनाव में जोगी परिवार की साख दांव पर था। जोगी परिवार से अजीत जोगी और रेणु जोगी जकांछ से उम्मीदवार हैं। वहीं, बहू ऋचा जोगी बसपा से उम्मीदवार है। जोगी परिवार ही ऐसा है, जिनके तीन सदस्य इस विधानसभा चुनाव में मैदान में हैं और जिन्होंने अपने प्रतिद्वदियों को कड़ी टक्कर भी दी। अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी चुनाव नहीं लड़ रहे थे और वह पार्टी और चुनाव की कमान संभाल रहे थे। रेणु जोगी पिछली तीन बार से लगातार चुनाव जीत रही हैं।

जोगी की बहू ऋचा पहली बार चुनाव लड़ रही है, वह अकलतरा से चुनाव लड़ी थी, लेकिन उन्हें भाजपा के सौरभ सिहं ने हराया। हालांकि दोनों के बीच मतो का अंतर काफी कम है सौरभ सिहं 60502 वोट मिले जबकि ऋचा जोगी को 58648 वोट मिले। ऋचा जोगी के पति अमित जोगी मारवाही सीट से पहले विधायक रह चुके हैं। अजित जोगी मरवाही सीट से तो उनकी पत्नी कोटा सीट से चुनाव लड़ रही हैं। 
वहीं कोटा सीट से रेणु जोगी ने चौथी बार जीत दर्ज की है। इससे पहले वह कांग्रेस के टिकट पर तीन बार विधायक रही हैं। यह इस पर कांग्रेस 66 साल से जीतती आयी है। लेकिन इस बार ये तिलिस्म टूट गया है।

रेणु जोगी ने जकांछ के टिकट पर चुनाव लड़ा था और जीतने में कामयाब रही। उन्हें 48800 वोट मिले जबकि भाजपा के काशी राम साहू को 45774 वोट मिले। वहीं अजीत जोगी को मरवाही सीट से 74041 वोटी मिले यहां पर एक बड़े अंतर पर उन्होंने अपने विरोधी भाजपा की अर्चना पोर्त के हराया। पोर्ते को 25579 वोट मिले हैं। असल में कभी कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे अजीत जोगी राज्य में कांग्रेस का बड़ा चेहरा था। जोगी छत्तीसगढ़ से राज्यसभा उम्मीदवार बनना चाहते थे, लेकिन पार्टी ने उनकी जगह छाया वर्मा पर दांव लगाया।

जिससे वह नाराज हो गए और उसके बाद सीडी कांड में अनुशासन समिति ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया था। हालांकि इस मामले में अजीत जोगी के साथ ही उनके बेटे पर भी आलाकमान की गाज गिरी, लेकिन उनकी पत्नी कांग्रेस में बनी रही। लेकिन चुनाव में टिकट बंटवारे में उन्हें टिकट नहीं दिया। उसके बाद उन्होंने अजीत जोगी की पार्टी से चुनाव लड़ा।