भारत और पाकिस्तान के बीच बनने वाले करतारपुर कॉरिडोर के तौर-तरीके तय करने के लिए दोनों देशों के प्रतिनिधियों की बैठक चल रही है। यह बैठक वाघा-अटारी बॉर्डर पर हो रही है। यह कॉरिडोर पाकिस्तानी शहर करतारपुर में स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब को पंजाब के गुरदासपुर शहर से जोड़ेगा। भारतीय दल के पाकिस्तान के सामने खालिस्तानी अलगाववादियों के दुष्प्रचार के मुद्दे को भी उठाने की संभावना है।

खास बात यह है कि जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले और उसके बाद भारतीय वायुसेना द्वारा पाकिस्तान के बालाकोट में की गई हवाई कार्रवाई के बाद से दोनों देशों के बीच रिश्ते काफी तनावपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं। 

भारत द्वारा पाकिस्तान जाने वाले तीर्थयात्रियों की बाधा रहित यात्रा की बात रखे जाने की उम्मीद है। वह इस्लामाबाद से यह भी कह सकता है कि तीर्थयात्रियों को खालिस्तानी अलगाववादियों के प्रोपेगेंडा से दूर रखे जाने के पूरे उपाय किए जाएं। दरअसल, पिछले साल पाकिस्तान में गुरुद्वारों की ओर जाते हुए भारतीय तीर्थयात्रियों को खालिस्तान समर्थक बैनर दिखाए जाने की खबरें सामने आई थीं।

सूत्रों के मुताबिक, भारतीय प्रतिनिधिमंडल में गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, बीएसएफ, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग विकास प्राधिकरण और पंजाब सरकार के प्रतिनिधि हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय पहले ही साफ कर चुका है कि दोनों देशों के बीच पुलवामा के बाद बातचीत बहाल नहीं हुई है। पिछले सप्ताह विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा था कि 'दोनों पक्षों के बीच कोई बातचीत बहाल नहीं हुई है। कोई द्विपक्षीय बातचीत नहीं होगी। यह भारत के सिख नागरिकों की आस्था और भावनाओं से संबंधित है और भारत की मुलाकात करतारपुर साहिब गलियारे के संचालन शुरू करने की मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाती है।'

पिछले साल नवंबर में भारत और पाकिस्तान करतारपुर में गुरुद्वारा दरबार साहिब को भारत के गुरदासपुर जिले में स्थित डेरा बाबा नानक गुरुद्वारा से जोड़ने के लिए गलियारा बनाने को सहमत हुए थे।