शुक्रवार को राज्य में कमलनाथ सरकार के इस्तीफा देने के बाद अभी तक मध्य प्रदेश में भाजपा नई सरकार बनाने का दावा पेश नहीं कर सकी है। जबकि पार्टी के पास सरकार बनाने का पूर्ण बहुमत है और फिलहाल सरकार को किसी भी तरह का खतरा नहीं है। लेकिन उसके बावजूद पार्टी ने सीएम के पद के लिए किसी भी नाम पर अपनी सहमति नहीं जताई है।
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी राज्य में कमलनाथ सरकार गिराने के बाद अभी तक मुख्यमंत्री के नाम पर अपनी मुहर नहीं लगा सकी है। हालांकि देशभर में कोरोना का कहर भी एक बड़ा कारण माना जा रहा है लेकिन पार्टी के भीतर इस पद के लिए कई नामों के आगे आने के बाद पार्टी आलाकमान की मुश्किलें बढ़ गई हैं। क्योंकि पार्टी का मानना है कि किसी एक की ताजपोशी कई नेताओं को नाराज कर सकती है और इसके कारण भाजपा का हाल भी कांग्रेस की तरह हो सकता है। लिहाला सब को विश्वास में लेकर और संतुलन बनाकर ही फैसला किया जाएगा।
शुक्रवार को राज्य में कमलनाथ सरकार के इस्तीफा देने के बाद अभी तक मध्य प्रदेश में भाजपा नई सरकार बनाने का दावा पेश नहीं कर सकी है। जबकि पार्टी के पास सरकार बनाने का पूर्ण बहुमत है और फिलहाल सरकार को किसी भी तरह का खतरा नहीं है। लेकिन उसके बावजूद पार्टी ने सीएम के पद के लिए किसी भी नाम पर अपनी सहमति नहीं जताई है। हालांकि पिछले दिनों तक इस पद के लिए सबसे मजबूत दावेदार राज्य के पू्र्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह माने जा रहे थे।
लेकिन इस बीच कई अन्य नाम भी चर्चा में हैं। शिवराज राज्य में तीन बार सीएम रह चुके हैं और कई नेता उनकी कार्य प्रणाली को लेकर सवाल उठा रहे हैं। इसके अलावा ये भी कहा जा रहा है कि शिवराज के अलावा अन्य नेताओं को भी मुख्यमंत्री के पद पर नियुक्त किया जाना चाहिए। ताकि सभी नेताओं को खुश किया जा सके और संतुलन बनाया जा सके। वहीं अपने तीन शासनकाल में सीएम शिवराज के परिवार के सत्ता में दखल की भी चर्चाएं जोरो पर रही हैं।
जिसे उनके विरोधी बड़ा मुद्दा बना रहे हैं। जो उनकी ताजपोशी के लिए एक बड़ा रूकावत हो सकता है। वहीं शिवराज के अलावा विपक्ष के नेता गोपाल भार्गव को भी मुख्यमंत्री दौड़ में माना जा रहा है। हालांकि वह अभी तक विधायक दल के नेता भी हैं। इसके आलावा केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, थावरचंद गहलोत, नरोत्तम मिश्रा और कैलाश विजयवर्गीय का नाम तेजी से उभर रहा है। नरेंद्र सिंह तोमर और नरोत्तम मिश्रा के बारे में कहा जा रहा है कि ये दोनों नेता ग्वालियर-चंबल क्षेत्र आते हैं।
लिहाजा हाल ही में कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में आने वाले 22 पूर्व विधायकों का भी समर्थन इन्हें मिल सकता है। जिसके कारण इनकी दावेदारी मजबूत हो सकती है। अभी तक भाजपा विधायक दल की बैठक नहीं हुई है। जिसके कारण भी मुख्यमंत्री के नाम पर चर्चा नहीं हो सकी है। लेकिन मुख्यमंत्री के सभी दावेदारों ने अपने अपने लिए लॉबिंग करने शुरू कर दी है। हालांकि अंतिम फैसला केन्द्रीय आलाकमान को ही लेना है।
Last Updated Mar 23, 2020, 1:46 PM IST