नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी हरियाणा में सरकार बनाने के जादुई आंकड़े से दूर है। हालांकि पार्टी को उम्मीद है कि वह सरकार बना लेगी। क्योंकि कई निर्दलीय विधायकों ने भाजपा को समर्थन देने का ऐलान किया है। जिसके बाद उम्मीद की जा रही है कि भाजपा फिर से राज्य की सत्ता पर काबिज हो जाएगी। लेकिन इस बार भाजपा की सीटें कम होने के बावजूद उसका वोट में हिस्सेदारी बढ़ी है। इस बार भाजपा को पिछली बार की तुलना में 3..31 फीसदी वोट ज्यादा मिले हैं।

भारतीय जनता पार्टी के इस चुनाव में 36.5 प्रतिशत वो मिले हैं। जो पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में 3.31 प्रतिशत अधिक है। लेकिन इसके बावजूद पार्टी राज्य में सरकार बनाने के आंकड़े को नहीं छू सकी है। राज्य में भाजपा के 40 विधायक जीत कर आए हैं। जबकि एक दर्जन से ज्यादा मंत्री चुनाव हार गए हैं। सरकार बनाने के लिए 46 विधायकों की जरूरत है। क्योंकि राज्य में विधानभा की 90 सीटें हैं। फिलहाल भाजपा बहुमत के लिए जरूरी 46 सीटों से 6 सीटें दूर है। जबकि 2014 के विधानसभा चुनावों में पार्टी को 47 सीटें मिली थी और पार्टी ने अपने दम पर सरकार बनाई थी।

भाजपा को इस चुनाव में 36.5 फीसदी वोट मिले हैं जबकि 2014 के विधानसभा चुनावों में 33.24 प्रतिशत वोट मिले थे। भाजपा को 2014 में कुल 4125285 वोट मिले थे जो 2019 में बढ़कर 4544533 तक पहुंच गए हैं। लिहाजा ये भाजपा के लिए राहत की बात है। लेकिन वोट फीसदी का ये आंकड़ा विधायकों के आंकड़े तक नहीं पहुंच पाया है। वहीं सबके लिए चौंकाने वाली बात ये रही है कि जननायक जनता पार्टी ने पहली बार राज्य में चुनाव में किस्मत आजमाई और पार्टी को 27.34 फीसदी वोट मिले।

जबकि पिछली बार 19 सीटें जीतकर मुख्यविपक्षी दल बनी इनेलो का इस बार वोट शेयर कम हो गया है और उसे 2.45 फीसदी वोट मिले हैं। जबकि 2014 के चुनाव में उसे 24.73 फीसदी वोट मिले थे। इस बार इनेलो को एक सीट मिली है जबकि जेजेपी को  दस सीटें मिली है। जिसके बाद वह राज्य में किसी किंगमेकर से कम नहीं है। माना जा रहा है कि इनेलो का जाट वोट बैंक को जेजेपी अपने तरफ शिफ्ट करने में सफल रही है।