कल जैसे ही गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के निधन की खबर आयी तो सारा देश शोक लहर में डूब गया। लोग यह मानने के लिए तैयार नहीं थे कि उनका कर्मठ, ईमानदार, साधारण जीवन व्यतीत करने वाले मुख्यमंत्री का देहांत हो गया है। लेकिन इस दुखद घटना को हुए अभी 2 घंटे भी नहीं हुए थे कि गोवा प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ सुनील कवथांकर ने गोवा की गवर्नर मृदुला सिन्हा जी को सरकार बनाने का प्रस्ताव पत्र भेज दिया। यह कांग्रेस की राजनीति के निम्नतम स्तर को दर्शाता है। 

सोशल मीडिया पर भी लोगों ने कांग्रेस की इस सत्तालोलुपता का भारी विरोध किया। 
लोग इस बात पर नाराज थे कि कैसे कोई सत्ता के लालच में मौत जैसी दुखद घटना के वक्त भी राजनीतिक चालें चल सकता है|
सामान्य तौर पर किए जाने वाले सामाजिक व्यवहार में भी तमाम वैचारिक मतभेद भुलाकर लोग जन्म और मृत्यु के समय एकजुट हो जाते हैं। 
इससे पहले कांग्रेस के लिए कहा जाता था कि उसके लिए देश, धर्म और जनता के उपर सत्ता है। 
लेकिन गोवा की इस घटना ने ये साबित कर दिया कि सत्ता पाने के लिए कांग्रेस इंसानियत भी छोड़ सकती है |

यह कोई पहला मौका नहीं है, इससे पहले भी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गाँधी ने ऐसी ही एक शर्मनाक हरकत की थी, इससे पहले जब स्वर्गीय श्री मनोहर पर्रिकर जी अपनी ख़राब सेहत के चलते अस्पताल में एडमिट थे तो राहुल गाँधी ने उनके साथ हुई अपनी पांच मिनट की भेंट के बाद घटिया राजनीति करने की कोशिश की थी। 
 राहुल गाँधी ने एक प्रेस कांफ्रेंस करके कहा था कि "मेरी मीटिंग में पर्रिकर जी ने राफेल डील्स कि खुलासा कर देने वाली फाइल्स उनके पास होने का जिक्र किया है"।

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जिसके बाद गोवा मुख्यमंत्री दफ्तर ने आफिशिलय नोट जारी करके इसका विरोध किया था। और राहुल को झूठ न फैलाने की नसीहत भी दी थी। उस समय भी सोशल मीडिया पर राहुल की इस हरकत पर जनता ने रोष जताया था |

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राहुल गाँधी सहित कांग्रेस के कई नेता हमेशा से ही निम्न स्तर की राजनीती करते आये है| राहुल गाँधी को इन्ही कारणों से ही नॉन-सीरियस और अपरिपक्व कहा जाता है | ऐसे कई उदाहरण है, जब यह देखा गया कि कांग्रेस के लिए सत्ता से ऊपर कुछ नहीं है- 

- चाहे वो 2012 में उत्तराखंड की भूस्खलन और बाढ़ की घटना हो जब बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत सामग्री से लदे ट्रकों को 48 घंटे तक दिल्ली कि सिर्फ इसलिए रोका गया क्योंकि राहुल गाँधी को विदेश से वापिस आकर ट्रकों को हरी झंडी दिखानी थी 
- कई रिपोर्ट्स के मुताबिक 26/11 के मुंबई धमाकों की अगली शाम राहुल गाँधी पार्टी करने के मूड में थे |
- पुलवामा के बाद जब शहीदों के पार्थिव शरीरों को दिल्ली लाया जा रहा था तो एयर पोर्ट पर राहुल गाँधी शोक के इस समय भी मोबाइल पर व्यस्त थे |

जनता भी इन घटनाओं पर नजर रखती है और सत्ता के लिए कांग्रेस की छटपटाहट को अच्छी तरह समझती है। इसीलिए ऐसी हर घटना के बाद सोशल मीडिया पर कांग्रेसी नेताओं की जमकर धज्जियां उड़ाई जाती हैं। 

सोशल मीडिया पर प्रतिकिया के कुछ अंश :-

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