केरल के सबरीमला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश दिए जाने के समर्थन में चलाए जा रहे अभियान को लेकर केंद्रीय गृहमंत्रालय ने तीन राज्यों को एडवाइजरी जारी की थी। पर केरल और दो अन्य राज्यों ने कानून एवं व्यवस्था की स्थिति को लेकर भेजी गई इस एडवाइजरी को गंभीरता से नहीं लिया। गृहमंत्रालय ने तीनों राज्यों को इस अभियान में उग्र वामपंथी (एलडब्ल्यूई) समूहों की मौजूदगी के बारे में सचेत किया था। 

केंद्रीय गृहमंत्रालय ने केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक के डीजीपी और मुख्य सचिवों को 15 अक्टूबर को भेजी एडवाइजरी में सबरीमला के दरवाजे खुलने पर उचित प्रबंध करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं को प्रवेश की इजाजत दी है। 

इस पत्र से साफ लगता है कि राज्य सरकारों द्वारा कानून-व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने में लापरवाही बरती गई। एडवाइजरी में गृहमंत्रालय ने यह भी कहा था कि 17 अक्टूबर को हिंदू संगठन भी विरोध-प्रदर्शन की तैयारी रहे हैं। वे राज्यव्यापी प्रदर्शन कर सकते हैं। इसके बावजूद उचित व्यवस्था नहीं की गई है। 

15 अक्टूबर को भेजी गई एडवाइजरी के अनुसार, 'जो सूचनाएं मिल रही हैं, उनके आधार पर सबरीमला मंदिर में सुरक्षा के व्यापक इस्तेमाल किए जाने की जरूरत है। मंदिर के द्वार 17 अक्टूबर को खुल रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने हर उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश देने का फैसला सुनाया है और राज्य सरकार माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करना चहती है। इसे देखते हुए उचित बंदोबस्त करने की जरूरत है।'

केंद्रीय गृहमंत्रालय ने तीनों राज्यों के शीर्ष नौकरशाहों को लिखा, 'कुछ आम महिलाएं और महिला अधिकार समूह, वामपंथी दल अथवा मोर्चे और उग्र वामपंथी समर्थक समूह महिलाओं को मंदिर में प्रवेश दिए जाने के पक्ष में अभियान चला रहे हैं। 17 अक्टूबर को ऐसा करने के लिए महिलाओं को आगे किया जा रहा है। वहीं इसका विरोध कर रहे समूहों अथवा कार्यकर्ताओं का कहना है कि वे द्वार खुलने के दिन मंदिर के अंदर महिलाओं को प्रवेश नहीं करने देंगे।'

गृहमंत्रालय की एडवाइजरी के मुताबिक, 'सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ हिंदू संगठन 17 अक्टूबर को पठानमथिट्टा जिले के निलक्कल गांव और कोट्टायम के इरुमेली गांव में प्रदर्शन की योजना बना रहे हैं। इसके अलावा, अय्यपा के भक्त, हिंदू संगठन और कुछ जाति आधारित संगठन शीर्ष अदालत के आदेश के खिलाफ राज्यव्यापी प्रदर्शन कर सकते हैं। इन प्रदर्शनों में 50 से लेकर 3,000 तक लोग शामिल हो सकते हैं। इनमें काफी संख्या महिलाओं के होने की संभावना है। हिंदुवादी संगठनों ने केरल के अलावा तमिलनाडु और कर्नाटक में भी प्रदर्शन करने की तैयारी की है।'

कई संगठनों द्वारा विरोध प्रदर्शन को लेकर पहले ही एडवाइजरी जारी कर दिए जाने के बावजूद लगता है कि केरल सरकार द्वारा कानून एवं व्यवस्था को बनाए रखने के लिए कोई भी एहतियाती कदम नहीं उठाए गए।  केंद्रीय गृहमंत्रालय की ओर से उचित निषेद्याज्ञा जारी करने को कहा गया था ताकि कोई भी आसामजिक तत्व अपनी योजनाओं पर अमल में लाने के लिए सोशल मीडिया और इंटरनेट सेवाओं का दुरुपयोग नहीं कर सके।